इस बार प. बंगाल के जंगलमहल में दो फूलों, घासफूल और कमलफूल के बीच है कांटे की टक्कर
Lok Sabha Election 2019 प. बंगाल के दक्षिणी क्षेत्र की आठों सीटों पर है तृणमूल का कब्जा पंचायत चुनाव में भाजपा ने दी थी कड़ी चुनौती।
कोलकाता, जयकृष्ण वाजपेयी। पश्चिम बंगाल में चुनावी जंग अब जंगलमहल (दक्षिणी इलाका) पहुंच चुकी है।पश्चिम मेदिनीपुर, झाडग्राम, पुरुलिया व बांकुड़ा जिलों को जंगलमहल के नाम से भी जाना जाता है। ये जिले 2012 तक माओवादी गतिविधियों के लिए अक्सर सुर्खियों में रहते थे। इनके अलावा एक जिला और है-पूर्व मेदिनीपुर, जहां हल्दिया पोर्ट और नंदीग्राम हैं।
यह वही नंदीग्राम है, जहां 2007 में जमीन अधिग्रहण के खिलाफ बड़ा आंदोलन हुआ था, जो देश ही नहीं, विदेश में भी लंबे समय तक चर्चा का विषय बना था। इसने ममता बनर्जी को बंगाल की सत्ता तक पहुंचा दिया था। उस आंदोलन और माओवादियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई से खुश होकर इन पांच जिलों के लोगों ने पिछले आम चुनाव में तृणमूल की झोली में आठों सीटें डाल दी थीं, लेकिन इस बार जंगलमहल में दो फूलों, घासफूल (तृणमूल) और कमल (भाजपा) के बीच कांटे की टक्कर है।
खासकर पिछले वर्ष हुए पंचायत चुनाव में जिस तरह से जंगलमहल में भाजपा मजबूती के साथ उभरी है, उसके बाद हिंसक घटनाएं भी काफी हुई हैं। पुरुलिया में पंचायत चुनाव के तुरंत बाद ही भाजपा के दो कार्यकर्ताओं के शव पेड़ व बिजली के खंभे से लटकते मिले थे। इसके बाद अभी कुछ दिन पहले ही एक और भाजपा कार्यकर्ता का शव फंदे से झूलता मिला।
यही नहीं, पंचायत चुनाव में सबसे अधिक सीटें भाजपा ने इन्हीं क्षेत्रों में जीती हैं। यही वजह है कि तृणमूल की चिंता बढ़ी हुई है। इसके बाद से ही भाजपा नेता जंगलमहल को कमल के लिए मुफीद क्षेत्र मान रहे हैं। इनमें से पांच सीटें ऐसी हैं, जहां आदिवासी व अनुसूचित जाति के मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। झाडग्राम एसटी तो विष्णुपुर एससी के लिए सुरक्षित है।
छठे चरण में 12 मई को इन सीटों पर मतदान होना है। यहां मोदी-शाह ताबड़तोड़ सभाएं कर रहे हैं। बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी भी पीछे नहीं हैं और पिछले पांच दिनों से इन सीटों पर हर दिन दो-तीन सभाएं कर रही हैं।
इन आठों ही सीटों पर माकपा व कांग्रेस को पीछे छोड़कर भाजपा ने तृणमूल के समक्ष चुनौती खड़ी कर रखी है। इनमें से छह सीटें 2014 और दो सीटें 2009 तक वामपंथियों का गढ़ थीं लेकिन अब लाल (कामरेडों) के स्थान पर गेरुआ (भाजपा) टक्कर में है।
इसी मेदिनीपुर में 2016 के विधानसभा चुनाव में खडगपुर सीट से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष विजयी हुए थे। वैसे तो पूर्व मेदिनीपुर जिले की कांथी व तमलुक लोकसभा सीटें 2009 में ही माकपा से तृणमूल ने छीन ली थी लेकिन जंगलमहल की अन्य छह सीटें मेदिनीपुर, घाटाल में भाकपा, पुरुलिया में फारवर्ड ब्लॉक, झाडग्राम, बांकुड़ा और विष्णुपुर में माकपा को 2014 में हराकर तृणमूल ने कब्जा जमाया था।
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