West Bengal: कोलकाता हाई कोर्ट ने खारिज किया विश्वभारती के वीसी का आदेश
कोलकाता हाई कोर्ट ने खारिज किया विश्वभारती के वीसी का आदेशविश्वभारती के नौ निलंबित अध्यापकों को आदेश दिया गया था कि उन्हें रोजाना विश्वविद्यालय में आकर हाजिरी खाते पर दस्तखत करना पड़ेगा। इसके खिलाफ पांच अध्यापकों ने हाई कोर्ट में रिट दायर कर दी।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता । हाई कोर्ट ने विश्वभारती के वीसी के आदेश को अवैधानिक बताते हुए खारिज कर दिया। वीसी ने निलंबित अध्यापकों को रोजाना हाजिरी लगाने का आदेश दिया था। इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। जस्टिस अमृता सिन्हा ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपने फैसले में कहा है कि यह आदेश विश्वभारती के रूल्स के विपरीत है, लिहाजा अवैध है।
विश्वभारती के नौ निलंबित अध्यापकों को आदेश दिया गया था कि उन्हें रोजाना विश्वविद्यालय में आकर हाजिरी खाते पर दस्तखत करना पड़ेगा। इसके खिलाफ पांच अध्यापकों ने हाई कोर्ट में रिट दायर कर दी। उनकी तरफ से बहस करते हुए एडवोकेट सब्यसाची चटर्जी ने कहा कि अध्यापकों को रोजाना आकर हाजिरी रजिस्टर पर दस्तखत करने का आदेश विश्वविद्यालय के रूल्स के खिलाफ है। अलबत्ता विश्वविद्यालय के एडवोकेट की तरफ से इसे वैधानिक साबित करने की कोशिश की गई। जस्टिस सिन्हा ने अपने फैसले में कहा है कि एक शैक्षिक संस्थान में इस तरह का आदेश नहीं दिया जा सकता है। इसके साथ ही उन्होंने उस आदेश को खारिज कर दिया। यहां गौरतलब है कि विश्वभारती विश्वविद्यालय के कई मामलों में हाई कोर्ट से वीसी को झटका लगा है।
ईडी ने रोज वैली की 27 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की
बंगाल और ओडिशा में चिटफंड के जरिए हजारों करोड़ रुपये का चूना लगाने वाली रोज वैली कंपनी की लगभग 27 करोड़ रुपये की संपत्ति प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जब्त की है। यह जब्ती ईडी के जरिए की जा रही धन शोधन कानून की जांच के तहत की गई है। ईडी के एक आला अधिकारी ने बताया कि नए आदेश के तहत जो संपत्ति जब्त की गई है, उसमें रोज वैली और उसकी सहयोगी कंपनियों के जरिए खरीदी गई भूमि, होटल, बैंक में मौजूद रकम, रोज वैली ग्रुप के नाम पर बने डिमांड ड्राफ्ट आदि शामिल हैं। अधिकारी के मुताबिक इस मामले की जांच कोलकाता पुलिस के जरिए दर्ज की गई एफआइआर के आधार पर शुरू की गई थी और इस मामले में रोज वैली कंपनी के कर्ता-धर्ता गौतम कुंडू समेत अनेक लोगों को गिरफ्तार किया गया था। अभी भी इनमें से अनेक लोग न्यायिक हिरासत में जेल में ही मौजूद हैं।