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Kolkata Durga Puja 2020: कोरोनावायरस के चलते कोलकाता के कुमारटुली में दर्जनों दुर्गा की प्रतिमाएं हैं अपूर्ण

हर साल दुर्गा पूजा पर पूजा कमेटियों प्रतिमाओं के निर्माण के लिए कारीगरों को ऑर्डर देते हैं लेकिन इस बार कोरोनावायरस के चलते सदियों से चली आ रही एक पुरानी परंपरा जैसी थम सी गई है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 19 Sep 2020 07:43 AM (IST)Updated: Sat, 19 Sep 2020 07:43 AM (IST)
Kolkata Durga Puja 2020: कोरोनावायरस के चलते कोलकाता के कुमारटुली में दर्जनों दुर्गा की प्रतिमाएं हैं अपूर्ण
Kolkata Durga Puja 2020: कोरोनावायरस के चलते कोलकाता के कुमारटुली में दर्जनों दुर्गा की प्रतिमाएं हैं अपूर्ण

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। कोलकाता में कुम्हार बिरादरी के लोगों के लिए चर्चित जगह कुमारटुली में सालों से महालया के दिन देवी दुर्गा की आंखें बनाई जाती हैं, जिसे चक्षुदान के नाम से जाना जाता है। यह प्रतिमा निर्माण की प्रक्रिया का आखिरी चरण होता है।

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कुमारटुली नामक उत्तरी कोलकाता के इस इलाके में महालया के दिन हलचल का माहौल रहता है, लोगों की भारी भीड़ रहती है। पूजा के लिए लोग अपनी पसंद से प्रतिमाएं खरीदकर ले जाते हैं, लेकिन इस बार सबकुछ काफी फीका जा रहा है। यहां ऐसी दर्जनों प्रतिमाएं देखने को मिलीं, जिन पर काम अधूरा है। कुछ तो अभी तक बांस का ढांचा ही बनाकर छोड़े हुए हैं।

सदियों से चली आ रही एक पुरानी परंपरा जैसी थम सी गई है

हर साल दुर्गा पूजा के अवसर पर तमाम पूजा कमेटियों की ओर से प्रतिमाओं के निर्माण के लिए यहां के कारीगरों को ऑर्डर मिलते हैं, लेकिन इस बार कोरोनावायरस महामारी के भंयकर मार के चलते सदियों से चली आ रही एक पुरानी परंपरा जैसी थम सी गई है।

कई पूजा आयोजकों ने प्रतिमाओं की बुकिंग नहीं की

कारीगरों का कहना है कि बुकिंग और एडवांस पेमेंट के बिना वे समय पर मूर्ति बनाने का काम कैसे निपटा सकेंगे। ऐसी ही एक कारीगर चाइना पाल ने बताया, इस साल महालया के अवसर पर चक्षुदान की परंपरा का पालन नहीं किया जा सका, क्योंकि ज्यादातर प्रतिमाएं अभी तक बनी ही नहीं हैं। कई पूजा आयोजकों ने प्रतिमाओं की बुकिंग नहीं की है, पैसे नहीं मिले हैं।

आयोजकों की तरफ से पूजा के बजट को सीमित रखा गया है

कुमारटुली से जुड़े सूत्रों ने बताया कि अब तक केवल उन्हीं प्रतिमाओं पर काम पूरा कर लिया गया है, जिन्हें या तो देश के किसी अन्य हिस्से में भेजा जाना है या जो फाइबर की बनी हुई है। बाकियों पर काम होना बाकी है। इस बार आयोजकों की तरफ से पूजा के बजट को सीमित रखा गया है, ऐसे में कुमारटुली के कारीगरों को भी मूर्तियों की कीमत, इनके आकार और वजन सारी चीजें तोलमोल कर करनी पड़ रही है। 


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