जानें कौन हैं बुद्धदेव भट्टाचार्य, जिन्होंने पद्म भूषण सम्मान लेने से किया इन्कार, 11 साल तक रहे बंगाल के मुख्यमंत्री
बुद्धदेव भट्टाचार्य का जन्म एक मार्च 1944 को उत्तर कोलकाता में हुआ था। उनके पुरखों का घर बांग्लादेश में है। उन्होंने कोलकाता के प्रतिष्ठित प्रेसीडेंसी कालेज से बांग्ला साहित्य की पढ़ाई की थी और बांग्ला (आनर्स) में बीए की डिग्री प्राप्त की थी।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता: गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कार लेने के इनकार करने पर बुद्धदेव भट्टाचार्य अचानक चर्चा में आ गए हैं। माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य रहे भट्टाचार्य पीएम नरेन्द्र मोदी को लेकर ममता बनर्जी जैसे ही मुखर रहे हैं। 2014 लोकसभा चुनावों से पहले उन्होंने कहा था कि अगर मोदी पीएम बनते हैं तो ये देश के लिए बहुत खतरनाक होगा। भट्टाचार्य साल 2000 से 2011 तक बंगाल के मुख्यमंत्री रहे थे। इसके साथ ही वह माकपा के पोलित ब्यूरो के सदस्य भी रह चुके हैं।
बुद्धदेव भट्टाचार्य का जन्म एक मार्च 1944 को उत्तर कोलकाता में हुआ था। उनके पुरखों का घर बांग्लादेश में है। उन्होंने कोलकाता के प्रतिष्ठित प्रेसीडेंसी कालेज से बांग्ला साहित्य की पढ़ाई की थी और बांग्ला (आनर्स) में बीए की डिग्री प्राप्त की थी। बाद में वह माकपा से जुड़ गए थे। उन्हें सीपीआइ की युवा शाखा डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन के राज्य सचिव बनाया गया थे, जिसका बाद में डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन आफ इंडिया में विलय हो गया था।
कहा जाता है कि बंगाल में औद्योगीकरण अभियान की शुरुआत बुद्धदेव भट्टाचार्य ने ही की थी। उन्होंने ही टाटा की नैनो का उत्पादन प्लांट कोलकाता के पास स्थित सिंगुर में स्थापित कराया था। 2009 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद साल 2011 के विधानसभा चुनाव में भी उन्हें तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के उम्मीदवार मनीष गुप्ता के हाथों मात मिली थी।
बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के अलावा चार और शख्सियत प्रह्लाद राय अग्रवाल, संघमित्रा बंद्योपाध्याय, काली पद सरेन और काजी सिंह को पद्मश्री सम्मान देने की घोषणा हुई है।
बुद्धदेव भट्टाचार्य ने अपने बयान में कहा, 'मैं पद्म भूषण सम्मान के बारे में कुछ नहीं जानता। मुझे किसी ने इसके बारे में नहीं बताया। अगर मुझे पद्म भूषण सम्मान दिया गया है तो मैं इसे अस्वीकार कर रहा हूं।' इससे पहले उनकी पार्टी के राज्यसभा सदस्य और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेता बिकाश भट्टाचार्य ने भी कहा है कि यह फर्जी है। जहां तक मुझे पता है, यह पुरस्कार उनके द्वारा स्वीकार नहीं किया जाएगा।