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कर बाकी रखने वालों की संपत्ति जब्त करेगा केएमसी

-मेयर शोभन चटर्जी के निर्देश के बाद निगम के आयुक्त खलील अहमद ने एक अधिसूचना जारी की जागरण

By JagranEdited By: Published: Sat, 10 Nov 2018 02:59 AM (IST)Updated: Sat, 10 Nov 2018 02:59 AM (IST)
कर बाकी रखने वालों की संपत्ति जब्त करेगा केएमसी

-मेयर शोभन चटर्जी के निर्देश के बाद निगम के आयुक्त खलील अहमद ने एक अधिसूचना जारी की

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जागरण संवाददाता, कोलकाता : कोलकाता नगर निगम (केएमसी) ने महानगर के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले उन लोगों की संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लिया है जिन्होंने लंबे समय से संपत्ति कर का भुगतान नहीं किया है। शुक्रवार को नगर निगम के राजस्व विभाग के एक अधिकारी ने इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मेयर शोभन चटर्जी के निर्देश के बाद निगम के आयुक्त खलील अहमद ने एक अधिसूचना जारी की है, जिसमें संबंधित विभागों को यह निर्देश दिया गया है कि कोलकाता के सभी 16 बोरो के अंतर्गत रहने वाले संपत्ति मालिकों की सूची बनाई जाएगी। इनमें से जिन लोगों ने भी पाच सालों से संपत्ति कर का भुगतान नहीं किया है अथवा जिनका कर 5 लाख रुपये से ज्यादा बकाया रह गया है इन्हें चिन्हित कर कर वसूली की प्रक्रिया शुरू की जाए। इसके लिए सबसे पहले कर भुगतान संबंधी नोटिस उन्हें दिया जायेगा। इसके बाद भी अगर वे नहीं मानेंगे तो उनके खिलाफ कानूनी प्रक्रिया शुरू कर संपत्ति जब्ती शुरू की जाएगी। अधिकारी ने बताया कि नगर निगम के आर्थिक कोष को भरने का सबसे बड़ा जरिया कोलकाता के विभिन्न क्षेत्रों में मौजूद संपत्तियों से वसूला जाने वाला कर ही है। ऑनलाइन भुगतान, नगर निगम का एप्लीकेशन और कई अन्य सरलीकरण के बावजूद कर भुगतान में बहुत अधिक बढ़ोतरी नहीं हुई है। हालाकि विगत कुछ सालों में कर भुगतान 9.5 प्रतिशत बढ़ा है लेकिन इससे नगर निगम प्रशासन खुश नहीं है। बताया गया है कि पूरे कोलकाता में करीब सात लाख करदाता हैं। इनमें से अधिकतर ऐसे हैं जो संपत्ति कर का भुगतान तो करते हैं लेकिन बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी हैं जो सालों से नगर निगम के किसी भी कर का भुगतान नहीं करते और सभी सुविधाओं का लाभ भी ले रहे हैं। इसके अलावा कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट और अन्य क्षेत्रों में कई ऐसे मकान है जिनका मूल्याकन या म्यूटेशन नगर निगम की ओर से अभी किया ही नहीं गया है। साथ ही बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी हैं जो अपने-अपने घरों में मौजूद जगहों को अनाधिकारिक तौर पर व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए किराए पर दे चुके हैं, लेकिन नगर निगम को इसकी जानकारी नहीं है। अब इन सब की सूची बनाकर बिना देरी की कानूनी प्रक्रिया शुरू की जाएगी।


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