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Kailash Vijayvargiya: भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय बोले, हरियाणा में चुनाव प्रबंधन में हुई चूक

Kailash Vijayvargiya. कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि चुनाव जीतने के लिए मैनेजमेंट अहम होता है। हमें लगता है कि चुनावी मैनेजमेंट (प्रबंधन) करने में थोड़ी कमी रह गई।

By Sachin MishraEdited By: Published: Thu, 24 Oct 2019 05:55 PM (IST)Updated: Thu, 24 Oct 2019 05:55 PM (IST)
Kailash Vijayvargiya: भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय बोले, हरियाणा में चुनाव प्रबंधन में हुई चूक
Kailash Vijayvargiya: भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय बोले, हरियाणा में चुनाव प्रबंधन में हुई चूक

जागरण संवाददाता, कोलकाता। हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा के खराब प्रदर्शन पर पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि वहां चुनाव के प्रबंधन में चूक हुई।

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चुनाव नतीजों पर पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि हरियाणा में पिछले पांच वर्षों में भाजपा सरकार ने शानदार काम किया था, लेकिन हमें लगता है कि पार्टी व मतदाताओं के बीच कुछ कम्यूनिकेशन गैप रह गया। उन्होंने कहा कि चुनाव जीतने के लिए मैनेजमेंट अहम होता है। हमें लगता है कि चुनावी मैनेजमेंट (प्रबंधन) करने में थोड़ी कमी रह गई। अच्छा काम करने के बावजूद संवाद में कमी के कारण शायद मतदाताओं तक यह संदेश नहीं पहुंचा सके। हालांकि साथ ही उन्होंने कहा कि हरियाणा में भाजपा ही दोबारा सरकार बनाएगी।

गौरतलब है कि 2014 के हरियाणा विधानसभा चुनाव के समय विजयवर्गीय ही वहां के प्रभारी थे। दरअसल, गुरुवार को आए चुनाव नतीजे में हरियाणा में त्रिशंकु विधानसभा के आसार दिखाए दे रहे हैं। 90 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा बहुमत से कुछ सीटें पिछड़ती दिख रही है। भाजपा ने इस बार वहां 75 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था। लेकिन, करीब 40 सीटों पर पार्टी सिमटती दिख रही है। कई सीटों पर अभी भी मतगणना जारी है। वहीं, कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन करते हुए 35 सीटों पर आगे है।

हरियाणा में 75 से अधिक सीटें जीतने के लक्ष्य के साथ दूसरी बार सरकार बनाने का भाजपा का सपना ऐसे ही नहीं टूटा। भाजपा के इस सपने के टूटने के पीछे कई अहम वजह रहीं। भाजपा को जहां संगठन और सरकार के बीच गहरी होती खाई के कारण नुकसान उठाना पड़ा, वहीं कार्यकर्ताओं की अंदरूनी नाराजगी ने भाजपा को सत्ता के शीर्ष पर चढ़ने से रोक दिया।

भाजपा के प्रांतीय नेताओं ने कभी संगठन और सत्ता के बीच की खाई पाटने की कोशिश नहीं की। इसी का नतीजा है कि पचहत्तर पार के लक्ष्य की वह लगभग आधी दूरी ही तय कर पाई। इन चुनाव नतीजों के आधार पर भाजपा को आत्मचिंतन कर सबक लेने की जरूरत है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को चुनाव से करीब एक पखवाड़े पहले ही भाजपा की इस संभावित हार का आभास हो गया था। रात को एक-एक बजे तक चली बैठकों में इस संभावित हार को जीत में बदलने की कोशिश भी हुई, मगर भाजपा नेताओं के जीत के अति विश्वास की वजह से आरएसएस को अपने इन प्रयासों में सफलता नहीं मिल पाई।

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