कैलाश सत्यार्थी ने कहा-जी-20 फोरम के राहत कोष का निश्चित हिस्सा निचले तबके के बच्चों पर खर्च हो
नोबेल जयी अंतरराष्ट्रीय बाल अधिकार कार्यकर्ता ने कहा-भारत में बच्चों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठा रहे हैं हाल के आंकड़े।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता । जी-20 फोरम द्वारा घोषित कोविड-19 राहत कोष का निश्चित हिस्सा समाज के सबसे निचले तबके के बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य, चिकित्सा और अन्य जरूरतों पर खर्च किया जाना चाहिए। मैंने, वैश्विक नेताओं और नोबेल पुरस्कार विजेताओं ने यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी ली है। 2014 में शांति के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किए गए कैलाश सत्यार्थी ने प्रभा खेतान फाउंडेशन की ओर से आयोजित वेबिनार 'एक मुलाकात' को संबोधित करते हुए यह बात कही।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित बाल अधिकार कार्यकर्ता ने आगे कहा-'जान बचाना सरकार की पहली प्राथमिकता है। विश्व स्तर पर मानवता को इस संकट से बचाने की जरूरत है। सबसे वंचित और हाशिए पर रहने वाले लोगों पर विशेष रूप से ध्यान में रखना चाहिए। हाल के आंकड़े भारत में बच्चों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठा रहे हैं। हर घंटे चार बच्चों के साथ दुष्कर्म होता है और आठ बच्चे लापता हो जाते हैं।
लॉकडाउन की शुरुआत के बाद से कई अध्ययनों से पता चलता है कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। बच्चे मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा हैं इसलिए हम चाहते हैं कि जी-20 फोरम के कोविड-19 राहत कोष का एक निश्चित हिस्सा समाज के सबसे निचले तबके के बच्चों पर खर्च हो।हम इस बारे में जी-20 नेताओं और संयुक्त राष्ट्र संघ से बातचीत कर रहे हैं।'सत्यार्थी ने वैश्विक महामारी की वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा-'हम जिस स्थिति से गुजर रहे हैं, उसे केवल सभ्यता का संकट कहा जा सकता है।
ऐसा लगता है कि हमने प्रकृति को नुकसान पहुंचाया है और वह इसका बदला ले रही है। मौजूदा हालात अगले चार से पांच वर्षों तक जारी रह सकते हैं, हालांकि कोरोना को मानव के लिए करुणा के अंतहीन समुद्र के रूप में भी देखा जाना चाहिए क्योंकि इससे जो नई अर्थव्यवस्था तैयार हो रही है, वह आत्मा की अच्छाई पर आधारित है।वेबिनार को प्रसिद्ध कवि यतींद्र मिश्र और प्रभा खेतान फाउंडेशन की प्रमुख (कम्युनिकेशन एंड ब्रांडिंग) मनीषा जैन ने भी संबोधित किया।