International Tiger Day 2020: जिस गोल्डन टाइगर पर हो रहा गुमान, उससे शोधकर्ता हैं परेशान
International Tiger Day 2020 काजीरंगा नेशनल पार्क में चार सुनहरे बाघ को लेकर बड़ी है चिंता आतंरिक प्रजनन की वजह से रंग हुआ सुनहरा बाघों पर शोध में हुआ है रंग बदलने का खुलासा।
कोलकाता, जयकृष्ण वाजपेयी। International Tiger Day 2020: यूनेस्को के विश्व धरोहरों में शामिल असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में मिले सुनहरे रंग के बाघ यानी गोल्डन टाइगर की तस्वीरें सोशल मीडिया पर आई तो यह देश-विदेश तक में चर्चा का विषय बन गया। काजीरंगा के इस सुनहरे बाघ को 'काजी 106एफ' नाम से जाना जाता है। इसकी तस्वीरें कुछ दिन पहले जब लोगों ने सोशल मीडिया पर देखी तो लोगों के मन में यह बात आई कि भारत में भी गोल्डन टाइगर है।
इसके साथ ही यह सवाल भी जेहन में उठने लगा कि भारत के जिन प्रमुख राज्यों मसलन बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, ओडिशा और केरल आदि में बाघ पाए जाते हैं वहां के जंगलों में यह गोल्डन टाइगर क्यों नहीं देखे जाते? इसकी संख्या क्यों नहीं बढ़ाई जा रही है? इन सवालों के जवाब दैनिक जागरण ने तलाशने की कोशिश की है।
'काजी 106एफ' के अलावे धारीदार बाघ या फिर स्ट्राबेरी बाघ भी कहा जाता है। इसकी तस्वीरें जिसने भी देखी उसकी आंखें एकबारगी उस पर ठहर सी गई। क्योंकि, बाघ और उसकी बहुत सारी तस्वीरें तो लोगों ने देखी है। पर, सुनहरा बाघ नहीं दिखा था। परंतु, जिस गोल्डन टाइगर के मिलने से खुश हैं और हम सभी को गुमान हो रहा है, उसे लेकर बाघों पर शोध करने वाले अन्वेषक परेशान और चिंतित हैं। क्योंकि, उनके मुताबिक यह अच्छे संकेत नहीं है। यह एक बड़ी समस्या है।
आंतरिक प्रजनन का नतीजा है गोल्डन टाइगर
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के शोध अधिकारी रबींद्र शर्मा ने दैनिक जागरण को बताया कि गोल्डन टाइगर मिलना अच्छी बात नहीं है। यह हमारे लिए गुमान नहीं, बल्कि चिंता का विषय है। क्योंकि, गोल्डन टाइगर आतंरिक प्रजनन (इंब्रीडिंग) का नतीजा है। बाघों के बाप-बेटी या फिर भाई-बहन की इंब्रीडिंग की वजह से ऐसे जेनेटिक डिसआर्डर हो रहे हैं और रंग सुनहरा हो रहा है। यह जनसंख्या में गिरावट की गंभीर समस्याओं में से एक है। इसे रोकने के लिए बाघों की बिखरी हुई आबादी के बीच बेहतर कनेक्टिविटी के बारे में विचार करने का हमारे लिए एक संकेत है, जिससे कि आंतरिक प्रजनन को रोका जा सके। अगर ऐसा नहीं होगा तो वैज्ञानिक रूप से यह बाघ की सेहत के लिए अच्छे संकेत नहीं है।
उन्होंने कहा कि नेशनल पार्क में ऐसे चार बाघ हैं, इन सभी की तस्वीरें ली जा चुकी हैं। एक काफी सुनहरा है जबकि अन्य तीन थोड़े डार्क हैं। लेकिन, रंग से उनके स्वभाव और आयु पर कोई फर्क नहीं पड़ता। हालांकि, जब इन सुनहरे बाघ-बाधिन की सामान्य ब्रीडिंग होती है तो उससे जन्म लेने वाले शावकों का रंग सामान्य हो जाता है। इस समय काजीरंगा में बाघों की संख्या 190 के करीब है।
पहली बार 2014 में दिखा था गोल्डन टाइगर
शर्मा ने बताया कि 'काजी 106एफ' बाघ का रंग हल्का सुनहरा है, जिस पर काली धारियां हैं और पेट-मुंह पर ज्यादा सफेद बाल हैं। इन बातों का पता 2014 में तब चलता था, जब ऑल इंडिया मॉनीटरिंग की प्रक्रिया की दौरान पहली बार इस बाघ को देखा गया। 2015 में भी इसे कैमरे में कैद किया गया। 2016 में एक और बाघ के साथ कैमरे में कैद हुआ था। हाल-फिलहाल में फिर 2017 में कैमरे में कैद हुआ। उसकी उम्र उस समय 4-5 साल के आसपास होगी।
दो अलग जीन की वजह से बदलता है रंग
शर्मा ने कहा कि काजीरंगा में मिला बाघ क्षेत्रीय व्यवहार के तरीके में बाकी दुनिया से अलग है, क्योंकि इससे उनका अध्ययन और भी रोचक और चुनौतीपूर्ण हो सकता है। उन्होंने बताया कि बाघ का रंग (अन्य से अलग) सुनहरा है, जिस पर काली धारियां हैं और पेट पर ज्यादा सफेद बाल हैं। यह सुनहरे रंग की पृष्ठभूमि को 'अगाउटी जीन' और उनके जेनेटिक तत्व के एक समूह के जरिए नियंत्रित किया जाता है और काले रंग की धारियों को 'टैबी जीन' और उनके जेनेटिक तत्व के जरिए नियंत्रित किया जाता है। इनमें से किसी भी जीन के कम होने से बाघ का रंग बदल जाता है।
1970-80 के बीच मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र में दिखे थे गोल्डन टाइगर
रबींद्र शर्मा ने बताया कि जहां तक मुझे जानकारी है, 1970-80 के बीच मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में गोल्डन टाइगर दिखा था। परंतु, इसके बाद उन दोनों राज्यों के अलावे अन्य किसी राज्यों के टाइगर रिजर्व क्षेत्रों से सुनहरे बाघ के बारे में जानकारी नहीं मिली है।
काजीरंगा नेशनल पार्क शोध अधिकारी रबींद्र शर्मा-
गोल्डन टाइगर मिलना हमारे लिए खुशी और गर्व की बात नहीं है। यह गंभीर चिंता का विषय है। क्योंकि, आंतरिक प्रजनन की वजह से बाघ के कलर सुनहरे हो रहे हैं। बाघों की बिखरी हुई आबादी के बीच बेहतर कनेक्टिविटी के बारे में विचार करने का हमारे लिए एक संकेत है।'