बंगाल में भाजपा के लिए नासूर बन सकता है आंतरिक असंतोष
बंगाल की भाजपा इकाई में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।यदि इसे तत्काल खत्म नहीं किया गया तो 2019 के लोकसभा चुनाव में काफी परेशानी खड़ी हो जाएगी।
कोलकाता, जासं। बंगाल की भाजपा इकाई में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। पार्टी के अंदर असंतोष जारी है। यदि इसे तत्काल खत्म नहीं किया गया तो 2019 के लोकसभा चुनाव में काफी परेशानी खड़ी हो जाएगी। क्योंकि, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने 2019 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल से 22 सीटों को हासिल करने का लक्ष्य प्रभावित हो सकता है।
पश्चिम बंगाल भाजपा के कई शीर्ष पदाधिकारियों ने शाह को कई पत्र लिखे हैं, जिनमें गुटबाजी, भ्रष्टाचार, घोटाले और यहां तक कि पार्टी पदाधिकारियों के बीच तृणमूल के जासूस होने की बात कही गई है। बंगाल भाजपा के उपाध्यक्ष व नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परपौत्र चंद्र बोस ने पिछले माह शाह को छह पत्र भेजे थे जिसमें कहा गया है कि पार्टी के केंद्रीय नेताओं को बूथ कमिटी, पंचायत और जिलों से जुड़े गलत डेटा दिए जा रहे हैं।
लेटर में आंतरिक तोड़-फोड़ और तृणमूल से मिलीभगत के जिक्र के साथ यह भी कहा गया है कि कैसे भाजपा राज्य के बंगाली हिंदू वोटरों को लुभाने में नाकाम रही है। 10 जुलाई को शाह को लिखे लेटर में बोस ने कहा है, आपको बूथ कमिटी के बारे में दी गई जानकारी गलत है और इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है। जो बूथ कमिटियां पहले बनाई गई हैं, उनके पास कोई खास काम नहीं है।
पार्टी की सफलता की राह में गुटबाजी को मुख्य रोड़ा बताते हुए बोस ने लिखा है, पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। शाह को लिखे दूसरे लेटर में बोस ने कहा कि उन्हें बंगाल भाजपा के कमिटी मेंबर तुषार चटर्जी से 30 से ज्यादा सीटें जीतने के प्रस्ताव की जानकारी मिली है। बोस ने लिखा, बंगाल भाजपा के वर्तमान नेताओं में से वोटर किसी को भी गंभीरता से नहीं लेगा। इन नेताओं का एजुकेशनल और प्रोफेशनल बैकग्राउंड खराब है। उन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं।
वहीं, टीएमसी के साथ मिलीभगत, राजनीतिक और प्रोफेशनल अपरिपक्वता, बिना विजन और चुनावी स्ट्रैटजी न होने से चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन प्रभावित होगा। खास बात यह है कि सभी नेता राजनीतिक डीलिंग से ज्यादा पैसे बनाने में लगे हुए हैं। इनकी हरकतों से पार्टी की छवि खराब हो है।