बंगाल में बनेगा भारत का पहला ऑटिज्म टाउनशिप,पूरे विश्व में ऑटिज्म मामले में बंगाल होगा मिसाल
राज्य सरकार एक बार फिर नया उदाहरण पेश करने जा रही है। यह न केवल बंगाल बल्कि पूरे देश में अपने तरीके का एक अनूठी परियोजना होगी। पूरी दुनिया में एक उदाहरण होगा।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। राज्य सरकार एक बार फिर नया उदाहरण पेश करने जा रही है। यह न केवल बंगाल बल्कि पूरे देश में अपने तरीके का एक अनूठी परियोजना होगी। पूरी दुनिया में एक उदाहरण होगा। क्योंकि, बंगाल की ममता सरकार स्वलीनता (ऑटिज्म) मस्तिष्क के विकास के दौरान होने वाला विकार से पीडि़तों के लिए एक अलग टाउनशिप तैयार करने जा रही है।
एक निजी संस्था छह सौ करोड़ रुपये की लागत से चार वर्षो में इस परियोजना को पूरी करेगी। बताया जा रहा है कि भारत में इस परियोजना के लिए 39 हजार करोड़ आवंटित है। इनमें से सर्वप्रथम पश्चिम बंगाल में यह परियोजना का शुरू होना बड़ी बात है। इस टाउनशिप में सिर्फ अस्पताल ही नहीं, बल्कि स्कूल, खेलने का मैदान, आवासीय भवन, हॉल, कांफ्रेंस रूम, ट्रेनिंग सेंटर समेत कई और सुविधाओं से लैस होगा। उक्त टाउनशिप के अंदर ही ऑटिज्म रोगियों का उपचार भी किया जाएगा। दक्षिण 24 परगना जिले के शिराकल में यह टाउनशिप बनाया जाएगा।
कुल चार वषरें में एक गैर-सरकारी संगठन इस परियोजना को लगभग 600 करोड़ रुपये की लागत पूरा करेगा। उक्त टाउनशिप के निकट सरकार की ओर से एक कॉलेज बनाने की भी योजना है। जहां प्रोफेसर ऑटिज्म विकार की निदान के लिए शोध करेंगे। यह परियोजना पर पश्चिम बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट के दौरान हस्ताक्षर हुआ था जिसे अब पूरा किया जाएगा।
यह जानकारी ऑटिस्टिक प्राइड डे पर सोमवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट कर दी। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, हम सभी को ऑटिज्म को लेकर समानरूप से सम्मान दिखाना होगा और पीडि़तों का ख्याल रखना होगा। यह वार्ता सभी को समझाना होगा। ग्लोबल बिजनेस समिट में हमलोगों ने इस परियोजना को लेकर एमओयू हस्ताक्षरित किया था। आगामी दिनों में ऐसी रोगियों व उनके परिवार के साथ हमलोग खड़े होने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
क्या है ऑटिज्म
स्वलीनता (ऑटिज्म) मस्तिष्क के विकास के दौरान होने वाला विकार है जो व्यक्ति के सामाजिक व्यवहार और संपर्क को प्रभावित करता है। हिन्दी में इसे आत्मविमोह और स्वपरायणता भी कहते हैं। इससे प्रभावित व्यक्ति, सीमित और दोहराव युक्त व्यवहार करता है जैसे एक ही काम को बार-बार दोहराना। यह सब बच्चे के तीन साल होने से पहले ही शुरू हो जाता है।
इन लक्षणों का समुच्चय (सेट) आत्मविमोह को हल्के (कम प्रभावी) आत्मविमोह स्पेक्ट्रम विकार से अलग करता है, जैसे एस्पर्जर सिंड्रोम। ऑटिज्म एक मानसिक रोग है जिसके लक्षण जन्म से ही या बाल्यावस्था से नजर आने लगतें हैं। जिन बच्चो में यह रोग होता है उनका विकास अन्य बच्चों की अपेक्षा असामान्य होता है।