Move to Jagran APP

देशभर में आज भी शरणार्थी बने हुए हैं डेढ़ करोड़ बंगाली

आजादी के 70 साल बाद बीत जाने के भी देश के विभिन्न राज्यों में करीब 1.5 करोड़ बंगाली अभी भी आशियाने की तलाश में हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 03 Jan 2019 10:58 AM (IST)Updated: Thu, 03 Jan 2019 10:58 AM (IST)
देशभर में आज भी शरणार्थी बने हुए हैं डेढ़ करोड़ बंगाली
देशभर में आज भी शरणार्थी बने हुए हैं डेढ़ करोड़ बंगाली

जागरण संवाददाता, कोलकाता।  आजादी के 70 साल बाद बीत जाने के भी देश के विभिन्न राज्यों में करीब 1.5 करोड़ बंगाली अभी भी आशियाने की तलाश में हैं। ये सभी ओडिशा, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश (यूपी), असम, बिहार और अंडमान जैसे राज्यों में शरणार्थी बन कर संघर्ष कर रहे हैं।

loksabha election banner

हाल के दिनों में निखिल भारत बंगाली उद्बास्तु समन्वय समिति ने देश में बंगाली शरणार्थियों का विवरण साझा किया था। इस आंकड़े के सामने आने के बाद यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि इन बांग्लाभाषी शरणार्थियों को अब और अधिक मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। 

समन्वय समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि अब एनआरसी की वजह से वे अपनी नागरिकता भी खोने की कगार पर हैं। आंकड़ों के मुताबिक 35,000 के करीब शरणार्थी कर्नाटक में रह रहे हैं, जबकि छत्तीसगढ़ के बस्तर में करीब एक लाख बंगाली शरणार्थी हैं। इसी तरह यूपी और उत्तराखंड में 25 लाख, ओडिशा में 30 लाख, मध्य प्रदेश में 11 लाख, छत्तीसगढ़ में पांच लाख, झारखंड में पांच लाख और राजस्थान के झालवर-बारानेव में करीब 20,000 बंगाली शरणार्थी रहते हैं, जो आज तक आवास और मूलभूत अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

निखिल भारत बंगाली उद्बास्तु समन्वय समिति के अध्यक्ष सुबोध विश्र्वास ने कहा कि बंगाली प्रवासियों के लिए यह अच्छी खबर नहीं है। विभिन्न स्तर पर राजनीतिक संकट, भाषा की समस्या और अधिकारों से वंचित होकर जीवन यापन करने को मजबूर हैं।

उन्होंने असम के तिनसुकिया में हाल ही में पांच बंगालियों की गोली मार कर निर्मम हत्या का भी उल्लेख किया और कहा कि इन शरणार्थियों की मदद के लिए बंगाल के बंगालियों को आगे आना चाहिए। देश के अन्य राज्यों में बंगाली शरणार्थियों का जिक्र करते हुए कहा कि अकेले असम में लाखों बांग्ला भाषी शरणार्थी के तौर पर संघर्ष कर रहे हैं। उन्हें अधिकार दिलाने के लिए साल 2017 में उग्र आंदोलन भी किया, जिस कारण उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया। करीब डेढ़ साल तक जेल में रहने के बाद गुवाहाटी हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत मिली। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.