जांच के बाद गर्भपात की मिली अनुमति
- मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने सुनाया फैसला -गर्भपात के लिए दंपती ने हाईकोट
- मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने सुनाया फैसला
-गर्भपात के लिए दंपती ने हाईकोर्ट में लगाई थी अर्जी
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जागरण संवाददाता, कोलकाता : कलकत्ता हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए 24 सप्ताह के अविकसित भ्रूण के गर्भपात की अनुमति दी है। फैसले में कहा गया है कि कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल में गृहवधू गर्भपात करा सकती है। सोमवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति तपव्रत चक्रवर्ती ने कहा कि एसएसकेएम अस्पताल के प्रसूति विभाग के डॉ. पीएस चक्रवर्ती के तत्वाधान में गर्भपात कराना होगा। इससे पहले कोर्ट ने गृहवधू को जांच के लिए मेडिकल बोर्ड के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि जांच के बाद ही गर्भपात की अनुमति मिलेगी। सोमवार को जांच की रिपोर्ट आई। इसी रिपोर्ट के आधार पर जहां कोर्ट ने गर्भपात की अनुमति दी। उल्लेखनीय है कि भ्रूण पूर्ण रूप से विकसित नहीं हुआ है। ऐसे हालात में बच्चे को बचाना संभव नहीं है। यदि गर्भपात नहीं कराया गया, तो मां की जान भी जा सकती है। इन्हीं कारणों का हवाला देते हुए दक्षिण कोलकाता के एक दंपती ने गर्भपात के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट में अर्जी लगाई थी। सोमवार को न्यायमूर्ति तपव्रत चक्रवर्ती ने इस मामले की सुनवाई करते हुए गृहवधू को गर्भपात की अनुमति दी। इससे पहले शुक्रवार को सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति ने गृहवधू को मेडिकल बोर्ड के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया था। जिसके बाद शनिवार को महानगर के एसएसकेएम अस्पताल में गृहवधू की जांच की गई थी। सोमवार को आई जांच रिपोर्ट के मद्देनजर कोर्ट ने गृहवधू को गर्भपात कराने का आदेश दिया। जांच में कहा गया था कि गृहवधू की कोख में पल रहा भ्रूण पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ है। ऐसे में बच्चे को जन्म देने से महिला की जान को खतरा हो सकता है।
गौरतलब है कि जोधपुर पार्क निवासी एक गृहवधू 24 सप्ताह की गर्भवती है। जांच के बाद पता चला की उसकी कोख में पल रहा भ्रूण पूरी तरह विकसित नहीं हुआ है। भ्रूण के मस्तिष्क का पूर्ण रूप से विकास नहीं हुआ है। दंपती का कहना है कि डॉक्टरों ने बताया है कि किसी भी सूरत में बच्चे को बचाना मुमकिन नहीं है। अगर मां, बच्चे को जन्म देना चाहती है, तो उसकी जान भी जा सकती है। वहीं भारतीय कानून के अनुसार गर्भपात का समय बीत चुका है। भारत में गर्भपात से संबंधित अधिनियम के मुताबिक, गर्भपात की समय सीमा 20 सप्ताह तक तय की गई है। इस समय के बाद भ्रूण को नष्ट करना कानूनी अपराध की श्रेणी में आता है। हालांकि कुछ मामलों में स्थिति के महत्व को देखते हुए, देश की विभिन्न अदालतों ने गर्भपात की अनुमति दी है। इसलिए दंपती ने न्याय के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट के समक्ष गुहार लगाई थी। दंपती के वकील अमिताभ घोष ने कहा था कि 26 दिसंबर को जांच कराने के बाद डॉक्टर ने महिला तुरंत गर्भपात कराने की सलाह दी थी। इसलिए वह अदालत से अपील करते है कि वह एक मेडिकल बोर्ड गठित कर भ्रूण नष्ट कराने की अनुमति दे।