डी लिट से नवाजी गईं शेख हसीना
आसनसोल स्थित काजी नजरुल विश्वविद्यालय के वार्षिक दीक्षात समारोह में शनिवार को बाग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को डी लिट की उपाधि प्रदान की गई।
-कहा-डी लिट मिलना जिंदगी की बड़ी उपलब्धि
-भारत-बांग्लादेश की दोस्ती के दीर्घकालिक होने की कामना जागरण संवाददाता, कोलकाता : आसनसोल स्थित काजी नजरुल विश्वविद्यालय के वार्षिक दीक्षात समारोह में शनिवार को बाग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को डी लिट की उपाधि प्रदान की गई। इस मौके पर उन्होंने बेहद भावुक भाषण देते हुए कहा-'रवींद्रनाथ व नजरुल का बंटवारा नहीं हुआ है इसलिए मैं यहां हूं। यह सम्मान सिर्फ मेरा नहीं बल्कि समूचे बांग्लादेश का है। बांग्लादेश के राष्ट्रीय कवि काजी नजरुल इस्लाम के नाम वाले इस विश्वविद्यालय से सम्मान मिलना मेरी जिंदगी की एक बड़ी उपलब्धि है। इस सम्मान को मैं बांग्लादेश के सभी नागरिकों व पूरे बंगाली समुदाय को समर्पित करती हूं। मेरी यही कामना है कि भारत-बांग्लादेश की दोस्ती दीर्घकालिक हो।'
इससे पहले शनिवार सुबह शेख हसीना विमान से अंडाल के काजी नजरुल एयरपोर्ट पहुंची। इसके बाद कड़ी सुरक्षा में वे दो नंबर राष्ट्रीय राजमार्ग से आसनसोल के लिए रवाना हुईं। 20 गाड़ियों व 2 बसों का उनका कारवां 12 बजे विश्वविद्यालय पहुंचा। 1 बजे उन्हें डी लिट सम्मान प्रदान किया गया। हसीना ने कहा-'और सबका भले बंटवारा हो गया हो लेकिन नजरुल का बंटवारा नहीं हुआ। उनका आंदोलन लोगों के अधिकारों के लिए था। मैं समस्त भारतवासियों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करती हूं। मुक्ति युद्ध के समय एक करोड़ शरणार्थियों को भारत ने शरण दी थी। इसके लिए बांग्लादेश तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और भारत के लोगों के प्रति कृतज्ञ है। यह भारत का ही सहयोग था कि हम फिर से खड़े हो सके।' हसीना ने आगे कहा-'हमारे परिवार के 18 सदस्यों की निर्मम हत्या कर दी गई थी। तब मैं और मेरी बहन विदेश में थे। उस समय भारत हमारे साथ खड़ा था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के प्रति आभार प्रकट करते हुए हसीना ने कहा-'धन्यवाद मुख्यमंत्री का, जिन्होंने नजरुल के लिए काफी कुछ किया।'
दीक्षांत समारोह में शेख हसीना के साथ बांग्लादेश से आए 150 सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल ने हिस्सा लिया। इस मौके पर उपस्थित बंगाल के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि राज्य सरकार प्रत्येक जिले में एक-एक विश्वविद्यालय खोलना चाहती है। विधानसभा में चार नए विश्वविद्यालय के निर्माण के प्रस्ताव को मंजूर किया गया है। राज्य सरकार ने सात वर्षो में 22 विश्वविद्यालयों और 47 कालेजों का निर्माण कराया है।