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Justice After 31 Years : बेगुनाही साबित करने में गुजर गई आधी उम्र, 31 साल बाद महिला को न्याय की देवी से मिला इंसाफ

बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर जिले की रहने वाली परमा माजी को अप्रैल 1989 में मादक पदार्थ रखने तथा बेचने के आरोप में किया गया था गिरफ्तार। सरकार ने 31 साल तक कोर्ट में केस डायरी दाखिल नहीं की। पूर्व मेदिनीपुर जिले की न्यायाधीश ने अधिकतम मुआवजा देने का दिया निर्देश।

By Vijay KumarEdited By: Published: Thu, 01 Oct 2020 08:36 PM (IST)Updated: Thu, 01 Oct 2020 08:36 PM (IST)
हल्दिया की बूढ़ी महिला ने 31 साल की कानूनी लड़ाई के बाद ड्रग मामले में अपनी बेगुनाही साबित की है।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : अपनी बेगुनाही साबित करने में आधी उम्र गुजर गई। 31 साल बाद आखिरकार इंसाफ मिला। बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर जिले की रहने वाली परमा माजी को 1989 में मादक पदार्थ रखने तथा बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। हल्दिया की बूढ़ी महिला ने 31 साल की कानूनी लड़ाई के बाद ड्रग के मामले में अपनी बेगुनाही साबित की है। न्यायाधीश ने सरकार को अधिकतम मुआवजा देने का निर्देश दिया है। 

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8 अप्रैल, 1989 को मादक पदार्थ रखने तथा बेचने का आरोप 

बुधवार को तमलुक जिला अदालत में न्यायाधीश के फैसले को सुनने के बाद 69 वर्षीय परमा माजी ने कहा कि अब मैं शांति से मर सकती हूं। पुलिस सूत्रों के अनुसार जिले के हल्दिया के दुर्गाचक इलाके की निवासी परमा माजी को 8 अप्रैल, 1989 को मादक पदार्थ रखने तथा बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। वह तब 38 वर्ष की थीं। 

साढ़े चार साल जेल में बिताने के बाद परमा जमानत पर रिहा

घटना के कुछ दिन पहले महिला के पति पन्नालाल माजी लापता हो गए थे । सात साल बाद जिला प्रशासन ने उनके पति को मृत घोषित कर दिया। ड्रग मामले में साढ़े चार साल जेल में बिताने के बाद परमा को जमानत पर रिहा कर दिया गया। अविभाजित मेदिनीपुर जिले के विभाजन के बाद मामले को मेदिनीपुर जिला अदालत से पूर्वी मेदिनीपुर में तमलुक जिला अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया था। 

सरकार ने 31 साल तक कोर्ट में केस डायरी दाखिल नहीं की है

सरकार ने 31 साल तक कोर्ट में केस डायरी दाखिल नहीं की है। वृद्ध महिला ने मामले को निपटाने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने मामले का तेजी से निपटारा करने का निर्देश दिया। पूर्व मेदिनीपुर जिले की न्यायाधीश मऊ चट्टोपाध्याय और अतिरिक्त सत्र (नंबर 3) कोर्ट ने आरोपित परमा माजी को मामले से बरी कर दिया। 

मुवक्किल को बिना शर्त रिहा कर दिया गया है : वकील चौधरी

उन्होंने सरकार को उन्हें अधिकतम मुआवजा देने का भी निर्देश दिया। बचाव पक्ष के वकील रितम चौधरी ने कहा कि यह मामला वास्तव में एक झूठा मामला है। सरकार केस डायरी अदालत में प्रस्तुत नहीं कर सकी। 31 साल बाद जज ने मामले में फैसला सुनाया। मेरे मुवक्किल को बिना शर्त रिहा कर दिया गया है। 

फैसले के बाद घटना को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप शुरू

इस घटना को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया है। तृणमूल के जिला समन्वयक आनंदमय अधिकारी ने कहा कि परमा का परिवार माकपा का विरोधी था। इसलिए उन्हें फंसाया गया। आज यह साबित हो गया है। हालांकि पूर्व मेदिनीपुर जिले के माकपा के सचिव निरंजन सिहिर ने दावा किया कि परमा माजी मादक पदार्थों की तस्करी में शामिल थीं। वर्तमान सरकार ने पुलिस को प्रभावित कर अदालत में केस डायरी प्रस्तुत नहीं की है। इसी वजह से उन्हें बरी किया गया है।


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