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जीएसआइ बना भारत में गिरने वाले सभी उल्कापिंडों का एकल संरक्षक और क्यूरेटर

जीएसआइ को भारतीय सीमा में गिरने वाले सभी उल्कापिंडों का एकल तौर पर संरक्षक और क्यूरेटर बनाया गया है। महानिदेशक गुप्ता ने इसकी जानकारी दी।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 27 Nov 2018 10:33 AM (IST)Updated: Tue, 27 Nov 2018 10:33 AM (IST)
जीएसआइ बना भारत में गिरने वाले सभी उल्कापिंडों का एकल संरक्षक और क्यूरेटर
जीएसआइ बना भारत में गिरने वाले सभी उल्कापिंडों का एकल संरक्षक और क्यूरेटर

जागरण संवाददाता, कोलकाता। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआइ) को भारतीय सीमा में गिरने वाले सभी उल्कापिंडों का एकल तौर पर संरक्षक और क्यूरेटर बनाया गया है। जीएसआइ के महानिदेशक डॉ. दिनेश गुप्ता ने इसकी जानकारी दी।

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उन्होंने बताया कि इस बाबत गत दो नवंबर को केंद्रीय खनन मंत्रालय की ओर से घोषणा की जा चुकी है। गौरतलब है कि जीएसआइ को हाल में भारत में गिरने एवं पाए वाले सभी उल्कापिंडों के संग्रह, संरक्षण, पंजीकरण एवं प्रसार के लिए नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया है।

डॉ. गुप्ता ने कहा कि उल्कापिंडों के संग्रह के तुरंत बाद उक्त शहर में स्थित जीएसआइ सेंटर में नेशनल मीटियोराइट रिपोजिटरी (एनएमआर) ऑफ इंडिया के पास उसका पंजीकरण कराना होगा।

उल्कापिंडों का काफी महत्व होता है। उनके जरिए सितारों के जन्म लेने और उनके क्रम विकास के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त होती हैं। उनकी उम्र का भी पता चलता है। गौरतलब है कि जीएसआइ अबतक 700 उल्का पिंडों का संग्रह कर चुका है। जीएसआइ की स्थापना सन् 1851 में हुई थी और इसका मुख्यालय कोलकाता में स्थित है। 


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