मनरेगा में ममता सरकार ने खर्च किए सात हजार करोड़ रुपये
पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी की सरकार ने मनरेगा योजना के तहत अब तक 7000 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च की है। इसके जरिए 49.53 लाख परिवारों को मेहनताने के रूप में धनराशि दी गई है।
कोलकाता [जागरण संवाददाता]। ग्रामीण बंगाल के लोगों को 100 दिनों के रोजगार (मनरेगा) योजना के तहत कार्य देने के केंद्र सरकार के लक्ष्य को एक बार फिर पूरा करते हुए पश्चिम बंगाल सरकार ने अब तक 7000 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च की है। इसके जरिए 49.53 लाख परिवारों को रोजगार और मेहनताने के रूप में धनराशि दी गई है।
राज्य सरकार के वित्त व उद्योग विभाग की ओर से गुरुवार को इस बारे में विज्ञप्ति जारी कर यह जानकारी दी गई है। विज्ञप्ति में बताया गया है कि 100 दिनों की कार्य योजना में बंगाल एक बार फिर से अग्रदूत के रूप में उभरा है। यहां तक कि केंद्र सरकार द्वारा तय की गई डेड लाइन से पहले ही रोजगार के दिनों का लक्ष्य तय कर लिया है। विज्ञप्ति में बताया गया कि केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए बांग्ला का लक्ष्य 31 मार्च, 2019 तक 25 करोड़ व्यक्ति कार्य दिवस सुनिश्चित करना था।
उदाहरण के तौर पर समझाया गया है कि मान लीजिए पहले दिन राज्य भर में एक लाख लोगों को 100 दिनों के रोजगार के तहत काम दिया गया तो दूसरे दिन भी इसी तरह से और एक लाख लोगों को इस योजना के तहत कार्य मिलना चाहिए। इस तरह से दो दिनों में दो लाख व्यक्ति कार्य दिवस होगा। इस प्रणाली का इस्तेमाल करते हुए पूरे साल भर में पश्चिम बंगाल सरकार को वित्त वर्ष 2019 के समापन तक 25 करोड़ व्यक्ति कार्य दिवस सुनिश्चित करने का लक्ष्य दिया गया था, जिसे तीन महीने पहले यानी दिसम्बर महीने में ही पश्चिम बंगाल सरकार ने पूरा कर लिया है।
विभाग की ओर से जारी आंकड़े के अनुसार गत छह दिसम्बर तक, 23 करोड़ 22 लाख 87 हजार व्यक्ति कार्य दिवस सृजित करने में राज्य पंचायत विभाग सफल रहा है। पिछले वित्त वर्ष केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 23 करोड़ व्यक्ति कार्य दिवस का लक्ष्य तय किया था। उस समय में बंगाल सरकार ने ना केवल तय समय से पहले लक्ष्य पूरा किया, बल्कि वित्त वर्ष 2017-18 के समापन तक 31.25 करोड़ व्यक्ति कार्य दिवस सृजित करने का रिकॉर्ड बनाया था। वित्त वर्ष 2017-18 में प्रति मजदूर को मिलने वाले कार्य दिवसों की औसत संख्या 60 थी। चालू वित्तीय वर्ष में यह संख्या दिसम्बर के अंत तक ही 59 पर पहुंच जाएगी और मार्च आते आते यह और अधिक बढ़ेगी।
विभाग की ओर से बताया गया है कि वित्त वर्ष 2017-18 में 52 लाख परिवारों को 100 दिनों के रोजगार के रूप में वेतन देने के लिए 7,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। इस साल, छह दिसम्बर तक 49.53 लाख परिवारों के लिए ही 7,000 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं जो 31 मार्च 2019 तक बढ़कर कम से कम 9000 करोड़ रुपये पर पहुंचेगा, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड होगा। विज्ञप्ति में इस बात का दावा किया गया है कि ग्रामीण विकास के लिए 100 दिनों के रोजगार योजना की समीक्षा करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए अधिकारियों की एक टीम ने कुछ महीने पहले राज्य का दौरा किया, और काफी संतुष्ट थे।
टीम विशेष रूप से इस तथ्य से प्रभावित थी कि बांग्ला सरकार ने 100 दिनों के कार्य के दायरे में केंद्र सरकार द्वारा संकेतित विभिन्न प्रकार के काम लाए हैं, जिसमें शौचालय और तालाबों का निर्माण प्रमुख है। विभाग की ओर से बताया गया है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हमेशा से ही 100 दिनों के रोजगार योजना को ग्रामीण बंगाल के विकास का मुख्य जरिया मानती रही हैं। इससे ना केवल क्षेत्रों में विकास के कार्य होते हैं बल्कि लोगों को काम मिलने की वजह से उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होती है। इसलिए 2011 में राज्य की सत्ता पर आरूढ़ होने के बाद से लगातार तृणमूल सरकार ने इस योजना को दिनों-दि