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Gangasagar fair: विशाखापत्तनम से पहुंची नौसेना के माहिर गोताखोरों की टीम, 17 तक संभालेगी मोर्चा

डूबते को तिनके का सहारा-सदियों पुरानी यह कहावत सबने सुनी है लेकिन गंगासागर मेले के दौरान यही कहावत बदलकर डूबते को भारतीय नौसेना का सहारा हो जाती है। गंगासागर मेले के दौरान सागर में भारतीय नौसेना के गोताखोरों की टीम दिन-रात मुस्तैद रहती है।

By Vijay KumarEdited By: Published: Thu, 14 Jan 2021 05:31 PM (IST)Updated: Thu, 14 Jan 2021 05:31 PM (IST)
Gangasagar fair: विशाखापत्तनम से पहुंची नौसेना के माहिर गोताखोरों की टीम,  17 तक संभालेगी मोर्चा
नौसेना के माहिर गोताखोरों की टीम, 17 तक संभालेगी मोर्चा

विशाल श्रेष्ठ, गंगासागर : 'डूबते को तिनके का सहारा'-सदियों पुरानी यह कहावत सबने सुनी है लेकिन गंगासागर मेले के दौरान यही कहावत बदलकर 'डूबते को भारतीय नौसेना का सहारा' हो जाती है। गंगासागर मेले के दौरान सागर में भारतीय नौसेना के गोताखोरों की टीम दिन-रात मुस्तैद रहती है। उनके रहते किसी का डूब जाना लगभग नामुमकिन है। यही वजह है कि पिछले एक दशक में मकर संक्रांति पर पुण्य स्नान के दौरान किसी भी तीर्थयात्री की डूबने से मौत की घटना नहीं हुई है।

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इस बार भी नौसेना की 10 सदस्यीय टीम गंगासागर में मोर्चा संभाली हुई है। विशाखापत्तनम से यहां पहुंची इस टीम का नेतृत्व भारतीय नौसेना में मास्टर चीफ पेटी ऑफिसर साबोली शिवुडु कर रहे हैं। टीम के पांच सदस्य काकद्वीप में तैनात हैं जबकि शिवुडु चार गोताखोरों के साथ सागर में मुस्तैद हैं। उन्होंने कहा-'हमारा मुख्य काम भारतीय जलसीमा क्षेत्र की सुरक्षा करना है लेकिन अभी हमें यहां तीर्थयात्रियों को डूबने से बचाने के लिए भेजा गया है। यह बहुत पुण्य का काम है और हमें काफी गर्व की अनुभूति हो रही है।'

नौसेना की टीम 'जेमिनी' नामक बोट से सागर में गश्त लगा रही है और तट पर स्नान कर रहे तीर्थयात्रियों पर कड़ी नजर रख रही है। साथ ही तीर्थयात्रियों को गहरे पानी में नहीं जाने की भी हिदायत दे रही है। इस टीम में धीरेंदर, सुधीर, अतुल और केशव जैसे बेहद माहिर गोताखोर शामिल हैं, जो सागर की गहराइयों में उतरकर लोगों की जान बचाने का माद्दा रखते हैं। शिवुडु ने बताया-' हमारे बोट बचाव संबंधी सारे उपकरणों से लैस हैं। बोट की अधिकतम गति 15 नॉट प्रति घंटा है। दूर में डूब रहे लोगों के पास हमारा बोट तेजी से पहुंच सकता है। हम एक बार में 14 लोगों की जान बचाकर उन्हें अपने बोट पर चढ़ा सकते हैं। नौसेना की टीम आठ जनवरी को यहां पहुंची है और 17 जनवरी तक यहां डटी रहेगी। उसके बाद विशाखापत्तनम लौट जाएगी।


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