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Kolkata Durga Puja 2020: पहली बार सिंदूर खेला के रस्म के बगैर ही होगी मां दुर्गा की विदाई

Kolkata Durga Puja 2020 कोरोना संक्रमण के बीच दुर्गा पूजा का आयोजन तो किया जा रहा है लेकिन इस बार भक्‍तों की भावना को कोरोना के कारण बड़ा आघात लगा है क्योंकि संक्रमण बढ़ने के कारण कोर्ट ने सिंदूर खेला पर रोक लगा दी है।

By Babita kashyapEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 10:26 AM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 10:26 AM (IST)
Kolkata Durga Puja 2020: पहली बार सिंदूर खेला के रस्म के बगैर ही होगी मां दुर्गा की विदाई
पहली बार सिंदूर खेला के रस्म के बगैर ही होगी मां दुर्गा की विदाई

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है जहां दुर्गापूजा की परंपरा को ही बदलना पड़ा। कारण कोरोना महामारी जिसने पूरी की पूरी दुर्गापूजा का ही कायापलट कर दिया। दुर्गापूजा की​ शुरुआत मां की प्रतिमा में चक्षु दान के साथ किया जाता है और पूजा संपन्न होती है सिंदूर खेला के साथ।

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  ऐसी मान्यता है कि 9 दिन मायके में रहने के बाद मां अपनी ससुराल जाती हैं, इसके पूर्व महिलाएं पान के पत्ते में सिंदूर डालकर मां की मांग भरती है। उसके बाद वही सिंदूर वे एक-दूसरे को लगाती है। दुर्गापूजा के पूरे 9 दिन में यह रस्म सबसे खूबसूरत होती है जिसके साथ भावनात्मक रूप से सभी ​जुड़े होते हैं। इस बार इस भावना को कोरोना के कारण बड़ा आघात लगा है क्योंकि संक्रमण बढ़ने के कारण कोर्ट ने सिंदूर खेला पर रोक लगा दी है।

  मायूस हुए आयोजक, कहा इस बार नाम की रह गयी पूजा

 मां की विदायी होगी मगर नहीं होगा सिंदूर खेला। इसे लेकर पूजा आयोजकों में भी मायूसी छा गयी है। त्रिधारा सम्मिलनी के आर्गनाइजिंग सेक्रेटरी लाल्टू मुखर्जी ने कहा कि सिंदूर खेला तो होगा ही नहीं। कोर्ट ने 45 लोगों को पंडाल में आने की इजाजत दी है मगर हम किसी को भी नहीं आने देंगे क्योंकि क्लब में 350 से अधिक सदस्य हैं ऐसी स्थिति में सिर्फ 45 नाम तय करना उचित नहीं होगा। इसलिए हम किसी को भी नहीं आने देंगे। हिंदुस्तान पार्क की तरफ से मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि इस बार मां की विदाई बगैर सिंदूर खेला की ही होगी। क्या करें कोर्ट का आदेश है, दुख तो बहुत हो रहा है मगर कुछ किया नहीं जा सकता।

 बजेंगे ढाक मगर धुनुची नाच पर संशय

इस बारे में ज्यादातर पूजा आयोजकों ने प्लान नहीं किया है। उनका कहना है कि कोर्ट ने पंडाल में सीमित लोगों को आने की ही इजाजत दी है इसलिए धुनुची नाच होगा कि नहीं इस पर हम तय करेंगे। हां पंडाल में जो ढाकियों की ढाक की आवाज से सूने लग रहे थे वहां उसकी धुन सुनायी दे रही है।


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