मां को 'जिंदा' कर पेटेंट के जरिए करोड़ों कमाना चाहता था शुभब्रत
ओम प्रकाश सिंह, कोलकाता : बेहला के जेम्स लांग सरणी में तीन वर्षों तक मां बीना मजूमदार (84) के शव को
ओम प्रकाश सिंह, कोलकाता : बेहला के जेम्स लांग सरणी में तीन वर्षों तक मां बीना मजूमदार (84) के शव को फ्रीजर में रखकर उनके अंगूठे के निशान की मदद से लगातार पेंशन उठा रहे शुभब्रत मजूमदार ने पुलिस पूछताछ में कई चौकाने वाले खुलासे किए हैं। उसने दावा किया है कि उसकी मां पूरी तरह से नहीं मरी थीं। उनका शरीर तो मर गया था लेकिन दिमाग को उसने जिंदा कर लिया था। लेदर टेक्नोलॉजी की पढ़ाई करने के कारण वह क्रायो प्रीजर्वेशन तकनीक के बारे में जानता था। इसके जरिए वह अपनी मां को पूरी तरह से जिंदा करने में लगा था। इसमें रसायन के जरिए शव को सड़ने से बचाया जाता है और एक विशेष तापमान पर दिमाग के वापस जिंदा होने की संभावना होती है। रूस में एक खरगोश के दिमाग पर यह प्रयोग सफल भी रहा है। इसी प्रक्रिया के जरिए वह मां को जिंदा करने में लगा था। अगर इसमें वह सफल हो जाता तो इस ऐतिहासिक उपलब्धि का वह पेटेंट करवाता और इसके जरिए करोड़ों रुपये कमाता। इस रुसी तकनीक को अचूक तरीके से इस्तेमाल करने के लिए वह काफी सजग तरीके से काम कर रहा था। इस बाबत उसने रुसी भाषा भी सीखी थी और इंटरनेट पर इस बारे में लंबे समय से अध्ययन कर रहा था। गुरुवार रात उसकी गिरफ्तारी के बाद उससे पूछताछ कर उसके घर में फिर से तलाशी अभियान चलाया गया, जहां से रुसी भाषा की दर्जनों ऐसी किताबें बरामद हुई हैं, जिसमें मृतक को वापस जिंदा करने के बारे में बताया गया है। उसने पुलिस से कहा-'मैं मां से बहुत प्यार करता था। उन्हें वापस जिंदा करके इतिहास रचना चाहता था।' उसने कबूल किया कि शव के पेट से उन हिस्सों को बाहर निकाल दिया था जो जल्दी सड़ जाते हैं और उनकी जगह केमिकल भर दिया था ताकि सड़न व बदबू न हो। इंटरनेट पर , किताबों में, यू ट्यूब आदि पर वीडियो देखकर वह मां के शव के साथ प्रयोग करता रहता था।
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बाप को नहीं उतरने देता था नीचे
-शुभब्रत के 89 वर्षीय पिता गोपाल चंद्र मजूमदार ने घटना के दूसरे दिन खुलासा किया है कि शुभब्रत उन्हें दूसरी मंजिल से नीचे उस कमरे में जाने नहीं देता था, जहां उसने शव को छिपा रखा था। उन्होंने बताया कि उन्हें पता ही नहीं था कि उनकी पत्नी का शव उसी इमारत में रखा हुआ है जिसमें वे रह रहे हैं। बेटे ने उन्हें बताया था कि उसने शव को पीस हेवेन में रखा है। वे जब भी नीचे उस कमरे में जाने की कोशिश करते थे तो बेटा उन्हें रोक देता था और चेतावनी देता था कि उसकी गैरमौजूदगी में उस कमरे में न जाएं। गोपाल चंद्र ने यह भी दावा किया कि वे काफी पहले समझ चुके थे कि उनका बेटा मानसिक रूप से बीमार है। उन्होंने कहा कि उसके व्यवहार व आक्रामक रवैये से वे समझ गए थे कि बेटा मानसिक रूप से बीमार है।' उम्र के आखिरी पड़ाव में किसी भी तरह की समस्या से बचने के लिए उन्होंने कभी वह काम करने की कोशिश नहीं की, जो बेटे को पसंद नहीं थी।