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बंगाल में फर्जी आइएएस-आइपीएस अफसरों का भरमार, दो माह में दो दर्जन से अधिक फर्जी अफसरों की हुई है गिरफ्तारी

महानगर समेत बंगाल कई हिस्सों से पिछले दो माह में फर्जी आइएएस आइपीएस सीआइडी ईडी सीबीआइ और पुलिस अफसरों की गिरफ्तारी के दो दर्जन से मामले सामने आ चुके हैं। ऐसा लग रहा है कि फर्जी आइएएस-आइपीएस का भरमार है।

By Vijay KumarEdited By: Published: Wed, 04 Aug 2021 05:33 PM (IST)Updated: Wed, 04 Aug 2021 05:33 PM (IST)
दो माह में दो दर्जन से अधिक फर्जी अफसरों की हुई है गिरफ्तारी

राज्य ब्यूरो, कोलकाताः महानगर समेत बंगाल कई हिस्सों से पिछले दो माह में फर्जी आइएएस, आइपीएस, सीआइडी, ईडी, सीबीआइ और पुलिस अफसरों की गिरफ्तारी के दो दर्जन से मामले सामने आ चुके हैं। ऐसा लग रहा है कि फर्जी आइएएस-आइपीएस का भरमार है। लोग इससे सावधान रहे नहीं तो ठगी के शिखार हो सकते हैं। इस बीच लगातार सामने आ रहे फर्जीवाड़ा मामले के बाद अब कोलकाता और राज्य पुलिस ने आंतरिक खुफिया और निगरानी प्रणाली विकसित करने का फैसला किया है ताकि इस तरह के मामलों का पता लगाया जा सके।

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राज्य के गृह विभाग के निर्देशों के बाद, राज्य पुलिस और कोलकाता पुलिस ने क्रमश: खुफिया शाखा और विशेष शाखा के तहत अपनी जासूसी टीम बनाने का फैसला किया है जो इस प्रकार के किसी भी प्रकार के फर्जीवाड़ों पर लगातार नजर रखेगी। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की राय है कि जब तक पुलिस बल के भीतर किसी तरह का संरक्षण नहीं होगा, इस तरह की चीजें नहीं हो सकती हैं।

एक समय था जब पुलिस बल की अपनी खुफिया प्रणाली थी जो विभागों में होने वाले सभी प्रकार के विकास पर नजर रखती थी लेकिन काम के दबाव और मानव-शक्ति की कमी के कारण यह प्रणाली गैर-कार्यात्मक हो गई और स्वाभाविक रूप से राज्य पुलिस विभाग के एक वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी ने कहा कि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी पुलिस थानों और निचले स्तर पर हो रही घटनाओं से अनजान रहे।

अधिकारी ने कहा कि यह व्यवस्था को पुनर्जीवित करने की एक प्रक्रिया है, ताकि पुलिस और प्रशासनिक पदानुक्रम में उच्च अधिकारियों को पता चल सके कि जमीनी स्तर पर क्या हो रहा है। इससे बल में अनुशासन बढ़ता है। हालांकि, अक्सर थाना स्तर या निचले विभागीय स्तर पर कुछ घटनाक्रम मुख्यालय तक नहीं पहुंचते हैं। इसलिए, एक वर्ग द्वारा कुछ अनैतिक प्रथाएं अक्सर शीर्ष अधिकारियों के संज्ञान से परे रहती हैं।

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ऐसे फर्जीवाड़ों के पीछे पुलिस की मिलीभगत भी है

कोलकाता पुलिस के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि राज्य के विभिन्न कोनों से फर्जी आइएएस और आइपीएस अधिकारियों की गिरफ्तारी में हालिया तेजी का इस इंफोर्मेशन गैप से कुछ लेना-देना है। विभाग में कुछ सड़े हुए अंडे इन धोखेबाजों को गुप्त रूप से वापसी के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।

उन्होंने कहा, फर्जी आइपीएस राजश्री भट्टाचार्य का भी यही मामला रहा है। अन्यथा, भट्टाचार्य के आवास से कोलकाता पुलिस की विशेष शाखा के अत्याधुनिक हथियार और फर्जी पहचान पत्र कैसे बरामद किए गए, जो उन्हें एनआइए अधीक्षक के रूप में प्रतिरूपित करते थे। उन्होंने कहा कि इसी तरह, राज्य सचिवालय और कोलकाता नगर निगम के मूल दस्तावेजों की स्कैन की गई प्रतियां फर्जी आइएएस अधिकारी देबांजन देब के लैपटॉप से बरामद की गईं। राजर्षि भट्टाचार्य के मामले में, पार्क स्ट्रीट पुलिस स्टेशन के एक सहायक उप-निरीक्षक के लिंक का संकेत देने वाले दस्तावेज हैं जांच अधिकारियों द्वारा पहले ही एक्सेस कर लिया गया है।

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आंतरिक जासूची व्यवस्था पुनर्जीवित करने की है जरूरत

अब राज्य पुलिस और कोलकाता पुलिस दोनों ही आंतरिक जासूसी की उस पुरानी व्यवस्था को पुनर्जीवित और मजबूत करना चाहते हैं ताकि पुलिस स्टेशन और संभाग स्तर पर छोटी से छोटी घटना भी दोनों बलों के मुख्यालय तक पहुंच सके, खासकर उनकी खुफिया शाखा तक।

कोलकाता पुलिस की विशेष शाखा (एसबी) और बंगाल पुलिस की खुफिया शाखा (आइबी) को विशेष रूप से आंतरिक जासूसी की व्यवस्था के पुनर्निर्माण के लिए सौंपा गया है। दोनों का मुख्यालय मध्य कोलकाता में लॉर्ड सिन्हा रोड पर है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि एसबी और आइबी के अधिकारी समय-समय पर विभिन्न थानों का दौरा करेंगे और वहां तैनात पुलिसकर्मियों से बात करेंगे।


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