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West Bengal: दुनिया भर में ग्लूकोमा के सबसे ज्यादा मरीज भारत में: विशेषज्ञ

भारत में ग्लूकोमा के एक करोड़ 20 लाख मरीज हैं और 90 फीसद से अधिक मामलों में इसका पता नहीं चलता है। नेत्र विशेषज्ञों ने बताया कि ग्लूकोमा आंखों की बीमारियों का एक समूह है जिसके कारण अंधापन हो सकता है और इसे ठीक नहीं किया जा सकता है।

By Priti JhaEdited By: Published: Fri, 19 Mar 2021 09:24 AM (IST)Updated: Fri, 19 Mar 2021 09:24 AM (IST)
West Bengal: दुनिया भर में ग्लूकोमा के सबसे ज्यादा मरीज भारत में: विशेषज्ञ
भारत में ग्लूकोमा के एक करोड़ 20 लाख मरीज हैं।

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। भारत में ग्लूकोमा के मरीजों की संख्या दुनिया भर में सबसे अधिक हो सकती है। नेत्र विशेषज्ञों ने यह अनुमान जताते हुए बताया कि ग्लूकोमा आंखों की बीमारियों का एक समूह है जिसके कारण अंधापन हो सकता है और इसे ठीक नहीं किया जा सकता है। भारत में इस बीमारी से एक करोड़ 20 लाख लोग पीड़ित हैं, और 90 फीसद से अधिक मामलों में तो इसका पता भी नहीं चलता है। अधिक उम्र‚ मधुमेह रोगी और रिफ्रैक्टिव बीमारी इसके ज्ञात संभावित जोखिम कारक हैं, और ऐसे लोगों की बढ़ती आबादी के कारण ग्लूकोमा देश में एक तेजी से उभरती गैर-संचारी ओकुलर बीमारी बनने वाली है जबकि यहां पहले से ही दुनिया के 20 फीसद नेत्रहीन व्यक्ति हैं।

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डॉ अग्रवाल्स आई हॉस्पिटल, कोलकाता के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. समर सेनगुप्ता ने इस बारे में कहा कि ग्लूकोमा को रोकने के लिए कोई ज्ञात उपाय नहीं हैं। लेकिन ग्लूकोमा के कारण होने वाले अंधापन को रोका जा सकता है। ग्लूकोमा का प्रारंभिक चरण में कोई लक्षण प्रकट नहीं होता है, लेकिन इसके जल्द निदान और उपचार की मदद से आंखों की रौशनी छीनने वाली इस बीमारी को बढने से रोका जा सकता है।

विश्व ग्लूकोमा सप्ताह 2021 पर डॉ समर सेनगुप्ता ने कहा कि भारत में लगभग 4 करोड़ लोग नेत्रहीन हैं या उन्हें दृष्टि संबंधी समस्या है जिनमें 16 लाख बच्चे भी शामिल हैं। मोतियाबिंद, और इलाज नहीं करायी गयी रिफ्रैक्टिव बीमारियों के बाद, ग्लूकोमा भारत में अंधेपन का तीसरा प्रमुख कारण है। हालांकि, ग्लूकोमा अधिक जटिल और खतरनाक है क्योंकि इससे दृष्टि की हानि तेजी से होती है और मोतियाबिंद के विपरीत इसे ठीक नहीं किया जा सकता है। अक्सर ग्लूकोमा की पहचान नहीं हो पाती है और इस कारण इसका इलाज भी नहीं कराया जाता है।


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