Move to Jagran APP

Environment: आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित रखने के लिए कोविड-19 के कारण जलवायु संकट के प्रभावों की अनदेखी न हो

पीडब्ल्यूसी- सेव द चिल्ड्रन के अध्ययन में बंगाल समेत तीन आपदा संभावी राज्यों में 70 फीसद उत्तरदाताओं ने बताया- पिछलेे कुछ सालों में उनके क्षेत्रों में तापमान बढ़ा है। जलवायु संकट का पेयजल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 14 Oct 2020 09:01 AM (IST)Updated: Wed, 14 Oct 2020 09:01 AM (IST)
Environment: आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित रखने के लिए कोविड-19 के कारण जलवायु संकट के प्रभावों की अनदेखी न हो
कोविड-19 के कारण जलवायु संकट के प्रभाव

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। मौसम की चरम परिस्थितियों जैसे बाढ़, साइक्लोन आदि के चलते इन भोगौलिक क्षेत्रों में रहने वाले बच्चे सामाजिक, आर्थिक एवं मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से संवेदनशील हो रहे हैं और उनके मौलिक अधिकार खतरे में हैं। पीडब्ल्यू इंडिया- सेव द चिल्ड्रन इंडिया के अध्ययन में ऐसा कहा गया है। कोविड-19 महामारी के चलते जोखिम और अधिक बढ़ गया है।

loksabha election banner

जयवीर सिंह, वाइस चेयरमैन, पीडब्ल्यू इंडिया फाउंडेशन ने कहा कि यह रिपोर्ट तीन राज्यों उत्तराखंड, मध्यप्रदेश और बंगाल में साल भर किए गए अध्ययन पर आधारित है, जिसमें जलवायु परिवर्तन के कारण बच्चों पर पड़ने वाले प्रभाव को समझने, जोखिम को पहचानने, इसके उन्मूूलन की रणनीतियों पर काम करने और जलवायु में सकारात्मक बदलाव के लिए उचित योजना बनाने के लिए तीन विभिन्न खतरा संभावी क्षेत्रों- बाढ़, सूखा एवं साइक्लोन पर अध्ययन किया गया।

बच्चों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया पर एक अभियान- रुरैड एलर्ट ऑन क्लाइमेंट कैंपेन भी लांच किया गया। ज्यादातर जिलों में चार में से तीन परिवारों ने बताया कि बारिश में कमी आई है। कम से कम 60 फीसद परिवारों ने बताया कि जलवायु संकट के कारण उनकी आर्थिक स्थिति पर प्रभाव पड़ा है।

जलवायु संकट का पेयजल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा -

सुदर्शन सुची, सीईओ, सेव द चिल्ड्रन ने कहा कि 90 फीसद परिवारों ने बताया कि जलवायु संकट का पेयजल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। 75 फीसद परिवारों ने बताया कि मौसमी घटनाओं के चलते उनके घर को नुकसान पहुंचा है। 14 फीसद उत्तरदाताओं ने बताया कि वे कम से कम एक ऐसे परिवार को जानते हैं जो जलवायु आपदा के चलते किसी दूसरे स्थान पर चला गया। कुछ क्षेत्रों में 20 फीसद उत्तरदाताओं ने बताया कि वे किसी अन्य स्थान पर चले जाना चाहते हैं। क्षेत्र के आधार पर, 58 फीसद तक उत्तरदाताओं ने बताया कि उनके बच्चों को उंचे तापमान के चलते स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं जैसे डीहाइड्रेशन, त्वचा रोगों और एलर्जी आदि का सामना करना पड़ रहा है।

तेज गर्मी के चलते बच्चे बाहर जाकर नहीं खेल पाते हैं

कई जिलों में 50 फीसद से अधिक उत्तरदाताओं ने बताया कि तेज गर्मी के चलते बच्चे बाहर जाकर नहीं खेल पाते हैं। रिपोर्ट में इन समस्याओं के उन्मूलन के लिए कई सुझाव दिए गए हैं जैसे बाल कल्याण योजनाएं, स्वास्थ्य सेवाओं की डिलीवरी को सक्षम बनाना, बुनियादी सुविधाओं को जलवायु के लिए अनुकूल बनाना, जलवायु को ध्यान में रखते हुए स्मार्ट कृषि को अपनाना, स्थायी जल प्रबंधन और किसी भी आपदा के दौरान बाल सुरक्षा को सुनिश्चित करना। इन रणनीतियों को मुख्य धारा में लाकर, मौजूदा नीतिगत बदलावों के द्वारा जलवायु परिवर्तन के कारण बच्चों पर पड़ने वाले प्रभावों को कम किया जा सकता है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.