विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने बंगाल के डीजीपी पद से वीरेंद्र को हटाया, जानें क्यों हुई ये कार्रवाई
बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले केंद्रीय चुनाव आयोग ने मंगलवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) वीरेंद्र को उनके पद से हटाने का निर्देश दिया। आयोग ने 1987 बैच के वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी नीरज नयन पांडेय को राज्य का नया डीजीपी नियुक्त किया है।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले केंद्रीय चुनाव आयोग ने मंगलवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) वीरेंद्र को उनके पद से हटाने का निर्देश दिया। 1985 बैच के वरिष्ठ आइपीएस वीरेंद्र की जगह आयोग ने 1987 बैच के वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी नीरज नयन पांडेय को राज्य का नया डीजीपी नियुक्त किया है। आयोग ने राज्य सरकार को वीरेंद्र को तत्काल डीजीपी पद से कार्यमुक्त कर पांडेय को पदभार सौंपने का निर्देश दिया है।
इसके साथ ही इस संबंध में राज्य को बुधवार सुबह 10 बजे तक आयोग को सूचित करने को भी कहा है। इतना ही नहीं अपने आदेश में आयोग ने राज्य सरकार से स्पष्ट कहा है कि वीरेंद्र को चुनाव प्रक्रिया समाप्त होने तक ऐसे किसी पद पर तबादला नहीं किया जाए जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव कार्य से जुड़े हों।
गौरतलब है कि इससे पहले आयोग ने बंगाल में चुनाव तारीखों की घोषणा के बाद एडीजी (कानून- व्यवस्था) जावेद शमीम को हटाकर अग्निशमन विभाग के डीजी जगमोहन को यह जिम्मेदारी सौंपी थीं। वहीं, शमीम को जगमोहन की जगह नियुक्त किया। इसके बाद आयोग की बंगाल में यह दूसरी बड़ी कार्रवाई है। इधर, वीरेंद्र को डीजीपी पद से हटाए जाने के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप है।
इसलिए हटाए गए वीरेंद्र
सूत्रों का कहना है कि वीरेंद्र के खिलाफ विपक्षी दलों ने आयोग से शिकायत की थीं। विपक्षों दलों ने उनपर पक्षपात का आरोप लगाते हुए दावा किया था कि वे चुनाव में सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस को मदद पहुंचा सकते हैं। गौरतलब है कि भाजपा पहले से ही वीरेंद्र पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का करीबी होने व उनके निर्देश पर काम करने का आरोप लगाती रही हैं। दूसरी ओर, बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ भी डीजीपी वीरेंद्र के खिलाफ लगातार हमलावर रहे हैं। कुछ माह पहले जब बंगाल के सीमावर्ती मुर्शिदाबाद जिले से राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने अलकायदा के आधा दर्जन आतंकियों को गिरफ्तार किया था तो राज्यपाल ने सीधे तौर पर डीजीपी की भूमिका पर सवाल उठाए थे। राज्यपाल का कहना था कि एनआइए दिल्ली से आकर आतंकियों को गिरफ्तार कर ले जाती है लेकिन राज्य पुलिस को कोई जानकारी नहीं थी।
राज्यपाल ने इस घटना को लेकर डीजीपी को राजभवन तलब भी किया था, लेकिन बार-बार कहने के बावजूद डीजीपी मिलने नहीं पहुंचे थे। इसके बाद से राज्यपाल लगातार उनके खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे।
भाजपा के इशारे पर हटाए गए डीजीपी : तृणमूल
इधर, वीरेंद्र को हटाए जाने पर तृणमूल कांग्रेस ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। तृणमूल के वरिष्ठ सांसद व प्रवक्ता सौगत राय ने कहा कि यह पहले से स्पष्ट है कि चुनाव आयोग भाजपा के इशारे पर काम कर रहा है। इसी का परिणाम है कि राज्य में आठ चरणों में चुनाव कराए जा रहे हैं और एक के बाद एक अच्छे अधिकारियों को हटाया जा रहा है।