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Unique Protest: ईद उल अजहा पर जानवरों की कुर्बानी के विरोध में मुस्लिम युवक ने रखा 72 घंटे का रोजा

यूं तो देश के तमाम हिस्सों में इस दिन जानवरों की कुर्बानी देने की रवायत पूरी की जा रही है लेकिन बंगाल की राजधानी कोलकाता में एक शख्स ऐसे भी हैं जो कुर्बानी की इस प्रथा का अनोखे तरीके से विरोध कर रहे हैं।

By Vijay KumarEdited By: Published: Wed, 21 Jul 2021 05:45 PM (IST)Updated: Wed, 21 Jul 2021 05:45 PM (IST)
कोलकाता में अपने घर पर कुर्बानी के विरोध में हाथों में पोस्टर लिए अल्ताब हुसैन। सौजन्य-इंटरनेट मीडिया

राज्य ब्यूरो, कोलकाताःः देश भर में बुधवार को ईद उल अजहा का त्योहार मनाया जा रहा है। यूं तो देश के तमाम हिस्सों में इस दिन जानवरों की कुर्बानी देने की रवायत पूरी की जा रही है, लेकिन बंगाल की राजधानी कोलकाता में एक शख्स ऐसे भी हैं जो कुर्बानी की इस प्रथा का अनोखे तरीके से विरोध कर रहे हैं।

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कोलकाता के रहने वाले 33 साल के इन युवक का नाम अल्ताब हुसैन है, जिन्होंने जानवरों की कुर्बानी के विरोध में 72 घंटे का रोजा रखा है। जानवरों की कुर्बानी का विरोध करते हुए अल्ताब कहते हैं कि पशुओं के प्रति क्रूरता की ऐसी परंपराओं को रोकना चाहिए। ये बताने के लिए कि पशुओं की बलि जरूरी नहीं है, मैंने स्वयं भी 72 घंटों का रोजा रखा है। 2014 में पशुओं के अधिकारों के लिए काम शुरू करने वाले अल्ताब मांसाहारी खाना नहीं खाते और चमड़े से बने उत्पादों का प्रयोग भी नहीं करते हैं।

अल्ताब का कहना है कि तीन साल पहले उनके भाई एक जानवर को कुर्बानी के लिए घर लाए थे। वह इस जीव को देखकर दुखी हुए और परिवार के लोगों का विरोध किया। उनकी कोशिशों से उस जानवर को कुर्बानी से बचा लिया गया।

अल्ताब ने यह भी कहा कि गाय को मारना और इंजेक्शन लगाकर उसका दूध बढ़ाने की कोशिश करना सही नहीं है। हालांकि अल्ताब का अपना परिवार उनसे इत्तेफाक नहीं रखता, लेकिन वह फिर भी देश के अन्य मुस्लिम समाज के लोगों से अपील करते हैं कि ईद उल अजहा के मौके पर जानवरों की कुर्बानी को बस सांकेतिक रूप में किया जाए और पशुओं के साथ कोई क्रूरता न हो।


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