West Bengal: गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा विश्वभारती विश्वविद्यालय
Visva Bharati University. विश्वविद्यालय की रजिस्ट्रार ने अटीचिंग और नॉन-टीचिंग स्टाफ को सूचित किया है कि फंड की कमी के कारण फरवरी के वेतन भुगतान में देरी हो सकती है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। Visva Bharati University. देश के प्रमुख केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शामिल शांतिनिकेतन स्थित विश्वभारती विश्वविद्यालय इन दिनों गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। विश्वविद्यालय की रजिस्ट्रार ने अधिसूचना जारी कर अपने टीचिंग और नॉन-टीचिंग स्टाफ को सूचित किया है कि फंड की कमी के कारण फरवरी के वेतन भुगतान में देरी हो सकती है। सोमवार को जारी अधिसूचना में रजिस्ट्रार आशा मुखर्जी ने कहा कि यह सभी संबंधितों की जानकारी के लिए है कि फंड की कमी के कारण फरवरी, 2020 के वेतन में देरी की संभावना है।
आम तौर पर विश्वविद्यालय के टीचिंग व नॉन-टीचिंग स्टाफ एवं पेंशनभोगियों के वेतन को उनके खातों में हर महीने के अंतिम कार्य दिवस में जमा कर दिया जाता है। विश्वविद्यालय के सूत्रों ने कहा कि करीब 1,400 टीचिंग और नॉन-टीचिंग कर्मचारियों को वेतन एवं करीब 1,960 पेंशनभोगियों के लिए हर महीने करीब 23 करोड़ रुपये की जरूरत है, लेकिन केंद्र ने फंड जारी नहीं किया है।
विवि के प्रवक्ता ने कहा कि कुलपति विद्युत चक्रवर्ती फिलहाल दिल्ली में ही हैं और वेतन के लिए फंड जारी करने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के संपर्क में हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय कर्मचारियों के वेतन के लिए फंड यूजीसी के माध्यम से ही विश्वविद्यालय को भेजता है।
इधर, विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा-'हमें जनवरी के वेतन के लिए भी अनुदान नहीं मिला, लेकिन हमने कर्मचारियों को एडमिशन फंड का उपयोग करके भुगतान किया। इस बार हम अपने स्वयं के कोष से वेतन देने की स्थिति में नहीं हैं।' एक अन्य अधिकारी ने कहा-'सातवें वेतन आयोग के लागू होने के बाद बजट बढ़ गया है। हमने छह महीने पहले ही संशोधित बजट भेजा था लेकिन अभी तक इसकी मंजूरी नहीं मिली है।'
उल्लेखनीय है कि बीते शुक्रवार को कुलपति विद्युत चक्रवर्ती ने भी कहा था कि विश्वविद्यालय इन दिनों गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है और वेंटिलेटर पर है। उन्होंने ये तक टिप्पणी की थी कि लोगों का एक समूह फंड की कमी से जूझ रहे विश्वविद्यालय को अंडे देने वाली मुर्गी की तरह इस्तेमाल कर रहा है।
विश्वभारती देश का एकमात्र ऐसा केंद्रीय विश्वविद्यालय है जिसके चांसलर प्रधानमंत्री होते हैं। सन् 1921 में नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने इस विश्वविद्यालय की स्थापना की थी।