लोकसभा चुनाव : सुरक्षा बलों की तैनाती को लेकर आयोग ने मांगी राज्य पुलिस से रिपोर्ट
-संवेदनशील मतदान केंद्रों की सूची सौंपने को भी कहा -रिपोर्ट जमा करने के लिए हफ्ते भर की दी म
-संवेदनशील मतदान केंद्रों की सूची सौंपने को भी कहा
-रिपोर्ट जमा करने के लिए हफ्ते भर की दी मोहलत
जागरण संवाददाता, कोलकाता : लोकसभा चुनाव में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की कितनी आवश्यकता है, इसे लेकर चुनाव आयोग ने राज्य पुलिस से रिपोर्ट तलब किया है। किस जिले में कितने सीएपीएफ की आवश्यकता है इसे लेकर आयोग ने राज्य पुलिस के सभी अधीक्षकों और विभिन्न पुलिस कमिश्नरेट से विस्तृत रिपोर्ट तलब किया है। रिपोर्ट जमा करने के लिए आयोग की ओर से एक हफ्ते का समय दिया गया है।
यहां बता दें कि 31 जनवरी को मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा के नेतृत्व में चुनाव आयोग की फुल बेंच कोलकाता आई थी और राज्य प्रशासन के आला अधिकारियों के साथ बैठक की थी। इस दौरान विपक्षी दलों की ओर से अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती, सीमावर्ती इलाकों में विशेष निगरानी, बाहरी बदमाशों के प्रवेश पर रोक जैसे मुद्दे उठाए गए थे।
जानकारी के अनुसार चुनाव आयोग ने न केवल केंद्रीय बलों की तैनाती बल्कि जिला अधिकारियों व पुलिस अधीक्षकों से राज्य से संवेदनशील व अतिसंवेदनशील मतदान केंद्रों की सूची सौंपने को भी कहा है। बता दें कि आयोग की ओर से यहां 18,000 से अधिक क्षेत्रों (हैमलेट) को संवेदनशील के तौर पर चिन्हित किया गया है। इसके अलावा आयोग ने 2014 के लोकसभा चुनाव और 2016 के विधानसभा चुनाव में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के जवानों की कैसे तैनाती हुई थी इस पर भी रिपोर्ट देने को कहा है।
राज्य में मुख्य चुनाव आयोग दफ्तर के अधिकारियों ने बताया कि चुनाव में पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था के लिए उक्त विवरण आवश्यक हैं। आयोग दफ्तर के सूत्रों ने बताया कि इस बार सुरक्षा बलों की तैनाती पैटर्न में कुछ बुनियादी बदलाव किया जाएगा। पहले, तैनाती केवल जिला मजिस्ट्रेट और जिले के एसपी द्वारा नियंत्रित की जाती थी, लेकिन इस बार तैनाती की जिम्मेवारी सिक्यूरिटी और जनरल आब्जर्बर द्वारा निभाई जाएगी।
आयोग के अधिकारियों के अनुसार राज्य में लगभग 18,461 संवेदनशील क्षेत्र हैं इनमें से 10,000 से अधिक उत्तर और दक्षिणी 24 परगना, वीरभूम, कोलकाता, मुर्शिदाबाद, मालदा, हुगली और बर्द्धमान जिले में है। हालांकि आयोग ने इन स्थानों पर सुरक्षा व्यवस्था का विवरण तो नहीं दिया, लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों ने यह संकेत जरुर दिया कि उक्त जिलों के लिए कुछ विशेष व्यवस्था की योजना बनाई जा रही है। बताया जाता है कि आयोग सभी बूथों को सीएपीएफ के नियंत्रण में रखने को इच्छुक है जबकि राज्य पुलिस को मतदान परिसर का जिम्मा सौंपा जा सकता है। अधिकारी ने कहा कि पहले हमारे पास आकड़े आए फिर हम अंतिम फैसला लेंगे।
आयोग सूत्रों के मुताबिक, 2016 के विधानसभा चुनाव में केंद्रीय बलों की 828 कंपनियों का इस्तेमाल किया गया था। छह चरण के चुनाव में द्वितीय चरण के लिए सबसे अधिक केंद्रीय बलों को लगाया गया था। केंद्रीय बल चुनाव से करीब महीने भर पहले राज्य में पहुंच चुके थे।