Durga Puja : हाईकोर्ट के फरमान का कोलकाता के लोग कर रहे पूरा सम्मान, पूजा पंडाल वीरान और सड़कें सुनसान
Durga Puja पूजा आयोजक भी अदालत के फैसले को लेकर सजग!। कोलकाता के उत्सव प्रेमी लोग दुर्गापूजा घूमने नहीं निकल रहे वह भी बंगाल के सबसे बड़ा त्योहार में। कहना भी गलत नहीं होगा कि कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले का इसपर व्यापक असर पड़ा है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : कोलकाता की विश्वविख्यात दुर्गापूजा में हर साल लाखों की भीड़ उमड़ती है लेकिन इस बार पूजा पंडाल वीरान हैं और सड़कें सुनसान। कोलकाता के उत्सव प्रेमी लोग दुर्गापूजा घूमने नहीं निकल रहे, वह भी बंगाल के सबसे बड़ा त्योहार में। कोरोना को लेकर जागरूकता इसकी प्रमुख वजह तो है ही, इसके साथ ही यह कहना भी गलत नहीं होगा कि कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले का इसपर व्यापक असर पड़ा है। गौरतलब है कि महाराष्ट्र में गणेशोत्सव और केरल में ओणम के समय जितनी भीड़ उमड़ी थी, उतनी दुर्गापूजा के पंडालों में नहीं दिख रही।
छोटे पूजा पंडालों में 25 लोगों को ही प्रवेश की अनुमति
हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए पूजा पंडालों में दर्शनार्थियों के प्रवेश पर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति संजीव बनर्जी और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया है। बड़े पूजा पंडालों में 60 और छोटे पूजा पंडालों में 25 लोगों को ही प्रवेश की अनुमति है। इनमें भी पूजा कमेटी से जुड़े लोग ही शामिल हैं। बाहरी लोग के नहीं। पूजा आयोजक हाईकोर्ट के इस फैसले का पूरा सम्मान कर रहे हैं।
कोलकाता के लोग हाईकोर्ट के फैसले का सम्मान कर रहे
वे पूजा पंडाल के अंदर किसी को जाने की अनुमति नहीं दे रहे। लोग दूर से ही प्रतिमाओं के दर्शन कर रहे हैं। कुछ पूजा पंडाल तो ऐसे हैं, जहां बाहर से प्रतिमाओं के दर्शन भी नहीं हो पा रहे। कोलकाता के लोग हाईकोर्ट के फैसले का पूरा सम्मान कर रहे हैं। बहुत कम लोग घूमने-फिरने निकल रहे हैं। ज्यादातर घरों में परिवार के साथ ही उत्सव का आनंद ले रहे हैं और ऑनलाइन देवी दुर्गा के दर्शन कर रहे हैं।
कोलकाता के लोगों की समझदारी को भी श्रेय दे सकते हैं
महाराष्ट्र और केरल में उत्सवों में उमड़ी भीड़ के कारण मामले काफी बढ़ गए थे। कोलकाता में कोरोना के दैनिक मामले 4,000 को पार गए हैं, लेकिन पूजा दर्शनार्थी जिस तरह से संयम दिखा रहे हैं, उससे मामलों में बहुत ज्यादा वृद्धि की आशंका नहीं दिख रही है। इसमें हाईकोर्ट के फैसले के साथ-साथ कोलकाता के लोगों की समझदारी को भी श्रेय दिया जा सकता है।