तृणमूल के असंतुष्टों पर भाजपा की नजर
कैचवर्ड पार्टी में असंतोष -तृणमूल में कुछ नेता दबे स्वर में टिकट को लेकर उठा रहे हैं सवाल
कैचवर्ड: पार्टी में असंतोष
-तृणमूल में कुछ नेता दबे स्वर में टिकट को लेकर उठा रहे हैं सवाल
-भारतीय जनता पार्टी ऐसे ही कई नेताओं पर रख रही है नजर
राज्य ब्यूरो, कोलकाता: लोकसभा चुनाव की घोषणा के तीन दिनों के अंदर ही तृणमूल प्रमुख व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बंगाल की 42 सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। परंतु, अब टिकट को लेकर तृणमूल के अंदर असंतोष के स्वर उठने लगे हैं। इन असंतुष्टों पर भाजपा की नजर है। चार टर्म से तृणमूल के विधायक रहे अर्जुन सिंह ने टिकट नहीं मिलने पर वे भाजपा का दामन थामा है। कभी तृणमूल काग्रेस में दूसरे नंबर की हैसियत रखने वाले मुकुल रॉय अब भाजपा में है और तृणमूल के असंतुष्टों पर नजर रखे हुए हैं। असंतुष्ट नेताओं और कुछ निर्वाचित प्रतिनिधियों तक को अपनी पूर्व पार्टी से भाजपा में लाने में मुकुल अहम भूमिका निभा रहे हैं। लोकसभा चुनाव के लिए जब तृणमूल ने अपने 42 उम्मीदवारों की सूची जारी की तब पार्टी में असंतोष के स्वर भी उठने लगे।
इस सूची में कूचबिहार, बशीरहाट, झाड़ग्राम, मेदिनीपुर, बोलपुर, विष्णुपुर और कृष्णनगर लोकसभा सीटों के वर्तमान सासदों के नाम नहीं हैं। इन सीटों पर तृणमूल के स्थानीय नेतृत्व में मची कलह का भाजपा ने पिछले पाच साल में जम कर फायदा उठाते हुए अपने लिए रास्ते बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कुछ सीटों पर तृणमूल ने अपने पुराने नेताओं की उपेक्षा की और नौसिखियों, फिल्मी सितारों तथा काग्रेस एवं वाम दलों से आए लोगों को प्रमुखता दी। सासद सौमित्र खां, सासद अनुपम हाजरा और चार बार विधायक रहे वरिष्ठ तृणमूल नेता अर्जुन सिंह भाजपा का दामन थाम चुके हैं।
भगवा दल के नेताओं का दावा है कि आने वाले कुछ दिनों में कई तृणमूल विधायक और अन्य नेता भाजपा में शामिल होंगे। तृणमूल के दक्षिण दिनाजपुर जिला प्रमुख बिप्लव मित्रा बालुरघाट लोकसभा सीट से अर्पिता घोष को दोबारा टिकट दिए जाने पर अपनी नाराजगी खुल कर जाहिर कर चुके हैं। मित्रा ने कहा कि मैं पार्टी को बता चुका था कि बालुरघाट के लोग अर्पिता के कामकाज से खुश नहीं हैं। इस बार उनकी जीत की कोई गारंटी नहीं है। कई योग्य नेता हैं। अगर उन्हें टिकट मिलता तो हम जीत जाते। उन्होंने आगे कहा कि हालाकि अर्पिता की जीत सुनिश्चित करने के लिए हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। रंगमंच की कलाकार अर्पिता तब से ममता की बुद्धिजीवी ब्रिगेड का हिस्सा रही हैं जब वह पूर्ववर्ती वाममोर्चा सरकार के खिलाफ लड़ रही थीं। अर्पिता कहती हैं कि जब तक ममता का आशीर्वाद उनके साथ है तब तक उन्हें कोई नहीं हरा सकता।
कूचबिहार लोकसभा सीट से तृणमूल ने अपने मौजूदा सासद पार्थ प्रतिम राय के बदले वाममोर्चा सरकार में मंत्री परेश चन्द्र अधिकारी को मैदान में उतारा है। यह पिछले साल तृणमूल में शामिल हुए थे। हालाकि इस मुद्दे पर राय ने कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन सूत्रों के मुताबिक भाजपा उन्हें अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है।
तृणमूल के एक वरिष्ठ जिला नेता ने कहा, अधिकारी को टिकट क्यों दिया गया? क्या हमारी जिला इकाई के पास लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए अच्छे नेताओं की कमी है? इस फैसले ने पार्टी के कार्यकताओं को अच्छा संदेश नहीं जाएगा। तृणमूल के एक वरिष्ठ जिला नेता ने कहा कि पार्टी के अंदर असंतोष का भाजपा फायदा उठाने का प्रयास करेगा। मालदा उत्तर संसदीय सीट में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जहा काग्रेस की पूर्व सासद मौसम बेनजीर नूर को हाल ही में तृणमूल में शामिल हुई हैं उन्हें टिकट दिया गया है। तीन अन्य सीटों पर भी काग्रेस विधायकों को जिन्होंने पिछले एक साल में तृणमूल में आए हैं उन्हें टिकट दिया गया है।
मुर्शिदाबाद लोकसभा सीट पर तृणमूल ने अपने युवा नेता शामिक हुसैन जो एक प्रमुख संगठनात्मक व्यक्ति हैं वे टिकट के इच्छुक थे लेकिन उनके स्थान पर पिछले वर्ष कांग्रेस से शामिल हुए पूर्व विधायक अबू ताहेर को मैदान में उतारा है।