राज्य ब्यूरो, कोलकाता। हाई कोर्ट में उन 42 हजार प्राइमरी टीचरों का ब्योरा पेश किया गया है जिन्हें पिछले दिनों नियुक्ति दी गई थी। इन नियुक्तियों में अपात्र लोगों का चयन किया गया है यह आरोप लगाते हुए पीआईएल दायर की गई है। इसकी सुनवायी करते हुए एक्टिंग चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस राजर्षि भारद्वाज के डिविजन बेंच ने प्राइमरी शिक्षा पर्षद को आदेश दिया था कि वह इनका पूरा ब्योरा कोर्ट में पेश करे।
एडवोकेट शुभ्र लाहिड़ी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इस बाबत कुछ दस्तावेज भी डिविजन बेंच में पेश किए गए है। उनका दावा है कि इस साल जो 16500 नियुक्तियां की गई हैं उनमें यह घपला किया गया है। इसके बाद ही पिछली सुनवायी में एक्टिंग चीफ जस्टिस ने प्राइमरी शिक्षा पर्षद को पूरा ब्योरा पेश करने का आदेश दिया था, ताकि पिटिशनर उनकी जांच करके अगर गलतियां की गई हैं तो इसका पता लगा सके।
प्राइमरी शिक्षा पर्षद ने हीला हवाली की तो जस्टिस बिंदल भड़क गए थे। एक्टिंग चीफ जस्टिस का मकसद था कि पिटिशनर इस सूची को देख कर पता लगाए कि कहां खामी हुई है। बहरहाल प्राइमरी शिक्षा पर्षद ने अब यह सूची सौंप दी है। एडवोकेट लाहिड़ी कहते हैं कि अगर एक टीचर के पांच डकुमेंट भी हों तो यह संख्या 2.10 लाख हो जाती है। इसके लिए कोई लॉजिस्टिक सपोर्ट चाहिए और इस बाबत कोर्ट का ध्यान आकृष्ट किया जाएगा।
डिविजन बेंच ने एडवोकेट लाहिड़ी को आदेश दिया है कि वे 15 नवंबर को यह बताएं कि जो ब्योरा सौंपा गया है उसमें अगर खामियां मिली हैं तो कितनी मिली हैं। एडवोकेट लाहिड़ी ने इसमें आ रही मुश्किलों का जिक्र किया तो कोर्ट ने कहा कि पहले जांच करे फिर 15 नवंबर को इसे सुना जाएगा।