Cyclone Amphan effect: चक्रवाती तूफान में सैकड़ों पेड़ों के उखड़ जाने से बेहद दुखी हैं अमित नाथ
कोलकाता में आने वाला हर तूफान अमित नाथ हाजरा उर्फ बाबलू दा की से कई संतानें छीन लेता है। 64 साल के बाबलू दा पिछले चार दशक से कोलकाता की सड़कों पर पौधे लगाते आ रहे हैं।
विशाल श्रेष्ठ, कोलकाता : तूफान आते हैं और तबाही मचाकर चले जाते हैं। अपने पीछे छोड़ जाते हैं बर्बादियों के निशान|। किसी का घर उजड़ता है तो किसी की बगिया, लेकिन अमित नाथ हाजरा उर्फ बाबलू दा की तो पूरी दुनिया ही बिखर जाती है।कोलकाता में आने वाला हर तूफान उनसे उनकी कई 'संतानें' छीन लेता है। 64 साल के बाबलू दा पिछले चार दशक से कोलकाता की सड़कों पर पौधे लगाते आ रहे हैं। अब तक वे 40000 से ज्यादा पौधे लगा चुके हैं, जिनमें से सैकड़ों बड़े-बड़े पेड़ में तब्दील हो चुके हैं और लोगों को फल-फूल और ठंडी छाया प्रदान कर रहे हैं। बाबलू दा के लिए यह उनकी 'संतानों' की तरह है।
बुधवार को आए सुपर साइक्लोन से कोलकाता में सैकड़ों पेड़ उखड़ गए। इनमें से कई बाबलू दा के लगाए हुए थे।जमीन पर गिरे पेड़ देखकर बाबलू दा बेहद दुखी हैं। गिरीश पार्क के पास सुधीर चटर्जी स्ट्रीट के रहने वाले बाबलू दा ने कहा कि एक पौधे को लगाने और उसका पालन-पोषण करके पेड़ में बदलने में वर्षों का समय लग जाता है। उस पेड़ का अचानक एक दिन इस तरह से उखड़ जाना मेरे लिए बेहद तकलीफदेय है।
कोलकाता में आने वाला हर एक आंधी- तूफान मुझे काफी तकलीफ दे जाता है क्योंकि मुझे अपनी कई संतानों को खोना पड़ता है। एक दशक पहले जब आइला आया था, उस वक्त भी कोलकाता में सैकड़ों पेड़ गिर गए थे। मैं उस वक्त भी फूट-फूटकर रोया था। हावड़ा की एक निजी कंपनी में सामान्य सी तनख्वाह पर काम करने वाले बाबलू दा ने आगे कहा कि मैं हरियाली को पहुंचे इस भारी नुकसान की अपनी तरफ से जितनी हो सके, भरपाई करने की कोशिश करूंगा। इसके लिए मैं ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाऊंगा।