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बंगाल में माकपा ने कांग्रेस से तोड़ा नाता, येचुरी ने कहा, चुनाव बाद गठबंधन का कौई औचित्य नहीं, अधीर चौधरी बोले-एकतरफा फैसला

CPIM broke ties with Congress in Bengal बंगाल में पिछले दो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली माकपा ने शुक्रवार को गठबंधन को तोड़ने की घोषणा कर दी। कांग्रेस ने इसकी आलोचना करते हुए माकपा के इस फैसले को एकतरफा बताया।

By Vijay KumarEdited By: Published: Fri, 17 Sep 2021 09:37 PM (IST)Updated: Fri, 17 Sep 2021 09:37 PM (IST)
बंगाल में माकपा ने कांग्रेस से तोड़ा नाता, येचुरी ने कहा, चुनाव बाद गठबंधन का कौई औचित्य नहीं, अधीर चौधरी बोले-एकतरफा फैसला
बंगाल में माकपा ने कांग्रेस से तोड़ा नाता

राज्य ब्यूरो, कोलकाताः बंगाल में पिछले दो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली माकपा ने शुक्रवार को गठबंधन को तोड़ने की घोषणा कर दी। कांग्रेस ने इसकी आलोचना करते हुए माकपा के इस फैसले को एकतरफा बताया। शुक्रवार को कोलकाता में माकपा के राष्ट्रीय महासचिव और पोलित ब्यूरो के सदस्य सीताराम येचुरी ने कहा कि चुनाव खत्म हो चुके हैं, इसलिए कांग्रेस के साथ अब गठबंधन का कोई औचित्य नहीं रह जाता।

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जनता दल का उदाहरण देते हुए सीताराम येचुरी ने कहा कि मोर्चा विधानसभा चुनाव के लिए था। चुनाव खत्म हो गया है। मोर्चा खत्म हो गया है। इंदिरा गांधी को हराने के लिए जनता पार्टी का गठन किया गया था। हारने के बाद जनता पार्टी का अंत हो गया। उस समय की स्थिति को देखते हुए गठबंधन का गठन किया गया था। वोट के बाद कोई प्रासंगिकता नहीं है।

माकपा के इस फैसले पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि माकपा ने यह फैसला एकतरफा लिया है। कायदे से गठबंधन धर्म को निभाते हुए कांग्रेस से इस पर चर्चा करने के बाद निर्णय लिया जाना चाहिए था। माकपा के इस निर्णय पर तृणमूल के राज्य महासचिव कुणाल घोष ने चुटकी लेते हुए कहा कि शून्य से शून्य जोड़ना या घटाना शून्य है।

यह एक दिशाहीन गठबंधन था। उन्होंने हाथ मिलाया और कुछ वोट हासिल करने की कोशिश की ताकि भाजपा को फायदा हो सके। इस पर भाजपा प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने कहा कि लोगों को वाम-कांग्रेस अवसरवादी गठबंधन पर भरोसा नहीं था। दरअसल, भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में कांग्रेस ने ममता बनर्जी के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारने की घोषणा की थी। लेकिन माकपा ने यहां से श्रीजीव विश्वास को उम्मीदवार बनाया है। तभी संयुक्त मोर्चा टूटने के संकेत मिल गए थे।


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