भाजपा की रथ यात्राओं के दिन सड़कों पर उतरेंगे माकपा कार्यकर्ता
2019 के आम चुनाव से पहले सभी 42 लोकसभा क्षेत्रों में रथयात्रा निकालने के लिए भाजपा को मिली हाईकोर्ट की अनुमति पर माकपा चिंतित हो गई है।
कोलकाता(जेएनएन)। 2019 के आम चुनाव से पहले राज्य भर के सभी 42 लोकसभा क्षेत्रों में रथयात्रा निकालने के लिए भारतीय जनता पार्टी को मिली हाईकोर्ट की अनुमति पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) चिंतित हो गई है।
गुरुवार को न्यायालय के एकल पीठ की ओर से भाजपा को अनुमति मिलने के बाद माकपा चेयरमैन विमान बोस ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इससे राज्य में सांप्रदायिक हालात बिगड़ेंगे। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी जैसे विभाजनकारी संगठन को अगर राज्य भर में रथयात्रा निकालने की अनुमति दी जा रही है तो इससे निश्चित तौर पर राज्य के हालात बिगड़ सकते हैं और यह चिंता की बात है।
उन्होंने कहा कि जिस जिस दिन जिस जिस क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी की रथ यात्राएं होंगी उन क्षेत्रों में माकपा के कार्यकर्ता सड़कों पर उतरेंगे ताकि किसी भी तरह की संघर्ष की स्थिति को संभाला जा सके। बस पर सवार होकर निकाली जाने वाली यात्रा को भारतीय जनता पार्टी द्वारा रथ यात्रा बताए जाने का उन्होंने मखौल भी बनाया।
विमान ने सवाल किया कि एक अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त वातानुकूलित बस कैसे रथ हो सकता है? राज्य सरकार की तमाम आशंकाओं को दरकिनार करते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट ने गुरुवार को भाजपा की 'गणतंत्र बचाओ यात्रा' के नाम से प्रस्तावित तीन रथयात्रा के कार्यक्रम को मंजूरी दे दी। वहीं, प्रशासन को यात्रा के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखने का निर्देश भी दिया है।
भाजपा द्वारा पश्चिम बंगाल में प्रस्तावित रथ यात्रा को कलकत्ता हाई कोर्ट से मंजूरी मिलने के बाद ममता सरकार ने डिवीजन बेंच के पास पहुंची है। बता दें, ममता सरकार ने राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने का तर्क देते हुए यात्रा की अनुमति देने से इन्कार किया था। हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ सुनवाई के लिए तैयार हो गया है।
बता दें, भाजपा पश्चिम बंगाल में अपनी 'गणतंत्र बचाओ यात्रा' की शुरुआत 22 दिसंबर को कूच बिहार से करने वाली है। कलकत्ता हाई कोर्ट रथ यात्रा को मंजूरी मिलने के बाद ममता सरकार ने फैसला अपने हक में न आने पर चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच से इसपर निर्णय देने को कहा है। सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देते हुए राज्य सरकार की इस अपील के बाद शुक्रवार को यह मामला चीफ जस्टिस की बेंच के सामने रखा जाएगा। पहले भी कोर्ट से ममता सरकार को निराशा हाथ लगी थी।