कोरोना महामारी मानव सभ्यता के इतिहास की सबसे बड़ी चुनौती, जलवायु परिवर्तन भी बड़ा खतरा: ममता
ममता ने ट्वीट किया आज पृथ्वी दिवस है। हमारा ग्रह मानव इतिहास के सबसे बड़े संकटों में से एक कोरोना महामारी से गुजर रहा है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : विश्व पृथ्वी दिवस के मौके पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को कोरोना महामारी को मानव सभ्यता के इतिहास की सबसे बड़ी चुनौती बताते हुए लोगों को आगाह किया कि जलवायु परिवर्तन का और भी बड़ा खतरा व्यापक स्तर पर मंडरा रहा है। उन्होंने लोगों से इस ग्रह (पृथ्वी) को बचाने व जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से मुकाबला करने के लिए साथ मिलकर काम करने की अपील की। ममता ने ट्वीट किया, 'आज पृथ्वी दिवस है। हमारा ग्रह मानव इतिहास के सबसे बड़े संकटों में से एक कोरोना महामारी से गुजर रहा है। लेकिन एक और बड़ा खतरा जो हम सभी पर मंडरा रहा है वह जलवायु परिवर्तन का है। इन चुनौतियों से लड़ने और अपने इस खूबसूरत ग्रह को बचाने के लिए हम सभी को साथ मिलकर काम करना चाहिए।' उल्लेखनीय है कि पृथ्वी दिवस दुनिया भर में हर साल 22 अप्रैल को मनाया जाता है।
आसमान में दिखेगी उल्का वृष्टि
कोरोना संकट के बीच 22 अप्रैल की मध्य रात्रि से आसमान में उल्का वृष्टि देखने को मिलेगी। खगोल विज्ञानियों के मुताबिक इसे नंगी आंखों से देखा जा सकेगा। 20 या अधिक बिंदु हर घंटे आकाश में चमकेंगे। हर साल इस समय, 'क्वाड्रंटिड' उल्कापिंड की संभावना बनती है। इस बार भी यही होने जा रहा है। अगर आसमान साफ रहा तो उल्का वृष्टि 27 अप्रैल को भोर तक दिखेगी। गौरतलब है कि उल्कापिंड अंतरिक्ष में तैरते विभिन्न आकारों की चट्टानें हैं। पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के तहत वे उसके चारों ओर घूमते हैं। उनमें से कुछ सतह पर गिरने लगते हैं लेकिन ज्यादातर मामलों में उनका जीवनकाल पृथ्वी पर पहुंचने से पहले ही समाप्त हो जाता है।