West Bengal Coronavirus: 74 फीसद बच्चे ‘सुपर पावर’ का इस्तेमाल लोगों को बचाने व इलाज ढूंढने में करेंगे
38 फीसद बच्चे सबसे पहले महामारी से अपने माता-पिता और परिवार को बचाना चाहते हैं और उनके स्वास्थ्य को होने वाले खतरे को लेकर चिंतित हैं। आइटीसी के कंफेक्शनरी ब्रांड जेलीमेल्स की पहल पर इंफोलीप मार्केट रिसर्च एंड कंसल्टेंसी एलएलसी द्वारा किए गए अध्ययन में यह तथ्य सामने आए हैं।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। कोरोना काल में बदल चुकी दुनिया में इम्यूनिटी सपोर्ट एक ऐसा पहलू है जिससे कोई भी समझौता नहीं करना चाहता। मौजूदा स्थिति में 74 फीसद बच्चों का कहना है कि अगर उन्हें कोई ‘सुपर पावर’ मिल जाए तो यह इसका इस्तेमाल ‘लोगों को बचाने (56 फीसद) और इलाज ढूंढने (18 फीसद)’ में करना चाहेंगे। 38 फीसद बच्चे सबसे पहले इस महामारी से अपने माता-पिता और परिवार को बचाना चाहते हैं और उनके स्वास्थ्य को होने वाले खतरे को लेकर चिंतित हैं। आइटीसी के कंफेक्शनरी ब्रांड, जेलीमेल्स की पहल पर इंफोलीप मार्केट रिसर्च एंड कंसल्टेंसी एलएलसी द्वारा किए गए अध्ययन में यह तथ्य सामने आए हैं।
इस सिलसिले में अनुज रुस्तगी, सीओओ- चॉकलेट, कॉफी, कंफेक्शनरी एंड न्यू कैटेगरी डेवलपमेंट- फूड्स, आइटीसी लिमिटेड ने कहा कि बच्चों ने डॉक्टरों, सैनिकों, दोस्तों, जानवरों समेत इंसानियत को बचाने और लोगों में वायरस की जांच करवाने के बारे में भी चर्चा की। इसके अलावा इस बात को समझने का प्रयास किया गया कि महामारी के बाद बदल चुकी दुनिया के बारे में बच्चे क्या सोचते हैं। मुंबई, दिल्ली, बंगलुरू और कोलकाता में 8 से 12 साल तक के 364 बच्चों से डाटा इकट्ठा कर के यह बात सामने आई कि 94 फीसद बच्चे स्कूल जाना मिस करते हैं। तो वहीं 95 फीसद बच्चे अपने दोस्तों से मिलना मिस करते हैं।
इस मौके पर जेलिमल्स ने अपना पोर्टफोलियो जेलीमेल्स इम्मुनोज– जेल्लिएस में परिवर्तित किया जो विटामिन सी और जिंक से समृद्ध है और बच्चों की इम्यूनिटी बरकरार रखने में मददगार होगा। श्री रुस्तगी ने बताया कि इस ब्रांड ने महामारी की शुरुआत होने के बाद बच्चों को स्वच्छता का महत्व समझाने और कोविड-19 की रोकथाम के बारे में जागरुक बनाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्देशित गाइडलाइंस के आधार पर ‘डू द 5’ नाम का गाना भी लांच किया था।