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सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जस्टिस कर्नन बोले, नहीं कराऊंगा जांच

सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्नन के बार-बार के अनुचित व्यवहार को देखते हुए मेडिकल परीक्षण का आदेश दिया था

By Sachin MishraEdited By: Published: Tue, 02 May 2017 05:28 PM (IST)Updated: Tue, 02 May 2017 05:33 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जस्टिस कर्नन बोले, नहीं कराऊंगा जांच
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जस्टिस कर्नन बोले, नहीं कराऊंगा जांच

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भड़के कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सीएस कर्नन ने मंगलवार को कहा कि वह मेडिकल जांच नहीं करवाएंगे। न्यायमूर्ति कर्नन को उनके खिलाफ चल रहे अवमानना के एक मामले में उच्चतम न्यायालय ने चिकित्सकीय जांच करवाने का आदेश दिया है।

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सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक व प्रशासनिक अधिकारों का न्यायमूर्ति कर्नन द्वारा उपयोग किए जाने पर रोक भी लगा दी है। न्यायमूर्ति कर्नन ने यह भी धमकी दी है कि अगर पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ने उनकी मर्जी के खिलाफ मेडिकल जांच करने की कोशिश की तो मैं डीजीपी के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए उनके निलंबन का आदेश जारी कर देंगे।

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जस्टिस कर्नन के बार-बार के अनुचित व्यवहार को देखते हुए मेडिकल परीक्षण का आदेश दिया था, जिसके बाद जस्टिस कर्नन ने खुले तौर से कहा कि अगर उनके साथ जबरदस्ती हुई तो वो स्वयं ही इस पर कार्रवाई करेंगे। जस्टिस कर्नन ने कहा कि मैं दिल्ली के डीजीपी को आदेश दूंगा कि वह 7 आरोपी जजों को एम्स के मानसिक रोग से जुड़े बोर्ड के समक्ष पेश करें और उनका मेडिकल टेस्ट करवाएं।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जस्टिस कर्नन की मेडिकल जांच के लिए मेडिकल बोर्ड के गठन के आदेश दिए हैं। इसमें मानसिक संतुलन की जांच की जाएगी। कोर्ट ने कहा है कि कोलकाता के सरकारी अस्पताल का मेडिकल बोर्ड 4 मई को जस्टिस कर्नन की जांच कर 8 मई तक रिपोर्ट पेश करें। इसे मामले की अगली सुनवाई 18 मई को की जाएगी। कोर्ट ने जस्टिस कर्नन की मेडिकल जांच में सहायता करने के लिए राज्य के डीजीपी सुरजीत कर पुरकायस्थ को पुलिस की एक टीम गठित करने का भी आदेश दिया है।

शीर्ष अदालत का यह निर्देश जस्टिस कर्नन द्वारा हाल में जारी कथित न्यायिक आदेश पर आया है, जिसमें उन्होंने चीफ जस्टिस सहित सात अन्य जजों को एक मई को अपने सामने हाजिर होने के लिए कहा था। सोमवार को सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने जस्टिस कर्नन के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट की घोर अवमानना बताया। हालांकि, वरिष्ठ अधिवक्ता केके वेणुगोपाल ने जस्टिस कर्नन के न्यायाधीशों पर आरोपों को भद्दा और अविश्र्वनीय बताते हुए जून में उनके रिटायरमेंट का हवाला देकर अवमानना की कार्यवाही से छूट देने की सलाह दी, लेकिन उनकी इस सलाह को खारिज करते हुए चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने कहा कि अदालत इस मामले की सुनवाई जरूर करेगी, ताकि दोबारा कोई ऐसी हरकत न करे।

सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी में जस्टिस कर्नन द्वारा 20 न्यायाधीशों पर भ्रष्टाचार आरोप लगाते हुए जांच की मांग करने के बाद उनके खिलाफ अवमानना का आदेश जारी किया था। इसके साथ उनकी सभी प्रशासनिक और न्यायिक शक्तियों पर पाबंदी लगा दी गई थी। हालांकि, इस बीच जस्टिस कर्नन ने शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों के खिलाफ कई आदेश जारी किए हैं। जिसमें शुक्रवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश समेत सात न्यायाधिशों की हवाई यात्रा पर रोक भी प्रमुख था।
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