भाजपा के नवान्न मार्च में घायल हुए पुलिस अधिकारी से अस्पताल में मिलीं सीएम ममता बनर्जी
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हाल में भाजपा के नवान्न अभियान (राज्य सचिवालय मार्च) के दौरान झड़प में घायल हुए कोलकाता पुलिस के एक अधिकारी से मिलने यहां एक सरकारी अस्पताल पहुंचीं। मुख्यमंत्री के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने भी चटर्जी से मुलाकात की थी।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हाल में भाजपा के नवान्न अभियान (राज्य सचिवालय मार्च) के दौरान झड़प में घायल हुए कोलकाता पुलिस के एक अधिकारी से मिलने यहां एक सरकारी अस्पताल पहुंचीं। मुख्यमंत्री ने सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) देबजीत चटर्जी से एसएसकेएम अस्पताल में मिलकर उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली।बता दें कि 13 सितंबर को सचिवालय तक भाजपा के मार्च के दौरान प्रदर्शनकारियों द्वारा कथित तौर पर पीटे जाने के बाद चटर्जी को कलाई में फ्रैक्चर होने, आंखों और कंधों में चोट लगने के कारण अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। इससे पहले, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के राष्ट्रीय महासचिव और मुख्यमंत्री के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने भी चटर्जी से मुलाकात की थी।
उल्लेखनीय है कि भाजपा के नवान्न मार्च के दौरान कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच जमकर झड़प हुई थी। इसमें बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ पुलिसकर्मी भी घायल हो गए थे। झड़प के चलते कई घंटे तक कोलकाता व हावड़ा रणक्षेत्र बना रहा। इससे पहले बंगाल के लिए भाजपा के पर्यवेक्षक सुनील बंसल ने रविवार को कोलकाता में पार्टी के उन कार्यकर्ताओं से मुलाकात की, जो हाल ही में राज्य सचिवालय तक मार्च के दौरान घायल हो गए थे।
बंसल ने रैली में ‘‘शांतिपूर्ण’’ समर्थकों पर पुलिस द्वारा ज्यादती करने का आरोप भी लगाया। बंसल ने कोलकाता के एमहर्स्ट स्ट्रीट और बेलियाघाटा इलाकों में पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। ये कार्यकर्ता 13 सितंबर को भाजपा के नवान्न अभियान का हिस्सा थे।
उन्होंने कहा, हम इसे हल्के में नहीं लेंगे। मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि पार्टी हमेशा अपने कार्यकर्ताओं के साथ खड़ी रहेगी, जो बंगाल में तब-तब पुलिस की बर्बरता का शिकार होते हैं, जब-जब वे टीएमसी के कुशासन के खिलाफ आवाज उठाते हैं। उन्होंने कहा, मैं अपनी रिपोर्ट केंद्रीय भाजपा नेतृत्व को भेजूंगा।इससे पहले भाजपा की एक तथ्यान्वेषी टीम ने शनिवार को कहा था कि पश्चिम बंगाल में ‘जंगल राज’ है और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस अगले संसदीय चुनावों में इससे सबक सीखेगी।