साढ़े तीन दशकों से ममता के घर की पूजा के लिए काली प्रतिमा गढ़ता आ रहा है पाल परिवार
कोलकाता का कालीघाट इलाका सिर्फ काली मंदिर के लिए विख्यात नहीं है बल्कि वहां होने वाली उस कालीपूजा के लिए भी जाना जाता है जिसका आयोजन बंगाल की वर्तमान सीएम और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी तीन दशकों से ज्यादा कर रही हैं।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। कोलकाता का कालीघाट इलाका सिर्फ काली मंदिर के लिए विख्यात नहीं है बल्कि वहां होने वाली उस कालीपूजा के लिए भी जाना जाता है, जिसका आयोजन बंगाल की वर्तमान मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी तीन दशकों से भी अधिक समय से करती आ रही हैं।
ममता मां काली की परम भक्त हैं और काली पूजा पर सारे प्रशासनिक व राजनीतिक क्रियाकलाप भूलकर उनकी आराधना में लीन रहती हैं। बहुत कम लोगों को पता है कि ममता के घर हर साल विराजमान होने वाली काली प्रतिमा बंगाल में मूर्ति निर्माण कला के केंद्रबिंदु कुम्हारटोली से नहीं बल्कि कालीघाट इलाके से ही आती है।इसका निर्माण कालीघाट के पटुआपाड़ा के रहने वाले वरुण पाल करते हैं।
प्रतिमा निर्माण में बड़े भाई अरुण वरुण का सहयोग करते हैं। वरुण पेशे से रेलकर्मी हैं। काली पूजा के पहले वे प्रतिमा निर्माण के लिए छुट्टी ले लेते हैं। प्रतिमा निर्माण का काम उनके परिवार में तीन पीढ़ियों से चला आ रहा है। इसकी शुरुआत उनके पूर्वज फकीर चंद्र पाल ने की थी। उसके बाद अमरनाथ पाल ने यह काम संभाला और साढ़े तीन दशक पहले उन्होंने ममता के घर के लिए काली प्रतिमा गढ़ना शुरू किया और अब उनके बेटे वरुण इस परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं। अमरनाथ के तीन पुत्र हैं- वरुण, अरुण और जगदीश।
प्रतिमा निर्माण का काम मुख्य रूप से वरुण ही करते हैं जबकि बड़े भाई अरुण इसमें उनका सहयोग करते हैं। पता चला है कि ममता के कहे अनुसार ही काली प्रतिमा का निर्माण किया जाता है। ममता प्रतिमा निर्माण के समय इसकी पूरी जानकारी लेती है और जरूरी निर्देश देती रहती हैं। कालीपूजा के दिन पहले बड़ी संख्या में राज्य के मंत्री-नेता ममता के घर आया करते थे लेकिन इस बार कोरोना महामारी के कारण ऐसा संभव नहीं हो पाया है।