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चिटफंड कंपनी के कई ठिकानों पर सीबीआइ की रेड

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबआइ) ने महानगर स्थित एक और चिटफंड कंपनी के कई ठिकानों पर छापेमारी की है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 01 Mar 2018 12:08 PM (IST)Updated: Thu, 01 Mar 2018 03:42 PM (IST)
चिटफंड कंपनी के कई ठिकानों पर सीबीआइ की रेड

कोलकाता, जागरण संवाददाता। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबआइ) ने महानगर स्थित एक और चिटफंड कंपनी के कई ठिकानों पर छापेमारी की है। चिराग नाम की इस कंपनी के कोलकाता, हावड़ा और उत्तर 24 परगना जिले के कई ठिकानों पर सीबीआइ ने तलाशी अभियान चलाया है।

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बताया गया है कि बुधवार सुबह से ही जांच एजेंसी की कई टीम ने एक साथ उक्त तीनों जिलों में स्थित कंपनी के ठिकानों पर छापेमारी की। यहां से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए गए है। आरोप है कि उक्त कंपनी ने निवेश के नाम पर भारी रकम बाजार से उठाया और निवेशकों का पैसा लौटाने के बजाय व्यापार समेटकर फरार हो गए। इसके कर्मचारियों से भी पूछताछ की जा रही है। बताया गया है कि उक्त कंपनी के निदेशक फरार हैं। 

कोलकाता की कंपनी आरपी इंफोसिस्टम के खिलाफ सीबीआइ ने दर्ज की प्राथमिकी 

सुर्खियों में छाए पीएनबी बैंक धोखाधड़ी के बीच अब कोलकाता में भी 515 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। इस बारे में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) ने कोलकाता की कंपनी आरपी इंफोसिस्टम और उसके निदेशकों के खिलाफ 515.15 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी की प्राथमिकी बुधवार को दर्ज की है। मामले में कंपनी के निदेशकों शिवाजी पांजा, कौस्तव राय, विनय वाफना और उपाध्यक्ष (आर्थिक) देवनाथ पाल को आरोपित बनाया गया है।

इनके खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र), 420 (धोखाधड़ी), 468 तथा 471 (फर्जीवाड़ा) के तहत मामला दर्ज किया गया है। पता चला है कि उक्त कंपनी के नाम पर फर्जी दस्तावेजों के जरिए इन लोगों ने सरकारी क्षेत्र की एक बैंक से 515.15 करोड़ रुपये का ऋण लिया और बाद में लौटाने से इन्कार कर दिया है। इस बारे में शिकायत दर्ज होने के बाद सीबीआइ ने जांच शुरू कर दी है। उल्लेखनीय है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक आइडीबीआइ को 180.44 करोड़ रुपये का चूना लगाने के आरोप में पिछले साल जून महीने में शिवाजी को उनके कंपनी के अन्य अधिकारियों के साथ गिरफ्तार किया गया था।

इसके अलावा कंपनी पर यह भी आरोप है कि बैंक से ऋण लेने के लिए कई दस्तावेजों के साथ फर्जीवाड़ा किया है। साथ ही ऋण के लिए सेल कंपनियों का भी सहारा लेने का आरोप शिवाजी पांजा और सहयोगियों पर लगा है। हालांकि मामले में अभी तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है।


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