आज कोर्ट में हाजिर नहीं हुए तृणमूल नेता छत्रधर महतो, फिर सुनवाई टली, एनआइए कर सकती है सख्त कार्रवाई
बैंकशाल कोर्ट में तृणमूल नेता छत्रधर महतो मामले पर होनी थी सुनवाई लेकिन बीमारी का हवाला देकर नहीं हुए हाजिर। वर्ष 2009 में राजधानी एक्सप्रेस को रोकने और चालक को अगवा करने के मामले में एनआइए ने पहले ही छत्रधर से पूछताछ की थी।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : महानगर के बैंकशाल कोर्ट में शुक्रवार को तृणमूल नेता छत्रधर महतो मामले पर सुनवाई थी, लेकिन एक बार फिर वह शारीरिक अस्वस्थता का हवाला देकर अदालत में हाजिर नहीं हुए। इससे पहले भी उन्होंने बीमारी का ही हवाला देकर कोर्ट में हाजिर नहीं हुए थे। हालांकि, उनके वकील ने पेशी के लिए अदालत से आज की तारीख मांगी थी। परंतु,बार-बार सुनवाई टल रही है।
सख्त कानूनी कार्रवाई करने की तैयारी में एनआईए
पता चला है कि इस तरह से कोर्ट में पेश नहीं होने पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) सख्त कानूनी कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है। वर्ष 2009 में राजधानी एक्सप्रेस को रोकने और चालक को अगवा करने के मामले में एनआइए ने पहले ही छत्रधर से पूछताछ की थी।
जांच के औचित्य पर सवाल उठा पहुंचे थे हाईकोर्ट
वहीं दूसरी तरफ तृणमूल में राज्य सचिव का पद पाने वाले पूर्व माओवादी नेता छत्रधर महतो ने इस मामले में एनआइए की जांच के औचित्य पर सवाल उठाते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इस बीच एनआइए ने दोनों मामलों की फिर से जांच के लिए कोलकाता की एक विशेष अदालत में आवेदन किया था। कोर्ट द्वारा अर्जी मंजूर करने के बाद एनआइए की जांच शुरू हुई है।
कई मामलों में नाम, जो एक दशक से अधिक पुराने
उल्लेखनीय है कि एनआइए इससे पहले छत्रधर महतो से दो बार पूछताछ कर चुकी है। 25 और 26 अगस्त को केंद्रीय खुफिया एजेंसी द्वारा उनसे पूछताछ की गई थी। छत्रधर का नाम कई मामलों में है जो एक दशक से अधिक पुराने हैं। एनआइए ने छत्रधर महतो से फिर पूछताछ शुरू की है।
दिल्ली-भुवनेश्वर को हाईजैक करने में आया था नाम
माकपा नेता प्रबीर महतो की मौत 14 जून 2009 को लालगढ़ के धरमपुर में हुई थी। हत्या के संबंध में केंद्रीय खुफिया एजेंसी द्वारा छत्रधर महतो से पूछताछ की गई थी। उसीी साल बाद में राजधानी को हाईजैक की कोशिश की गई थी। छत्रधर महतो का नाम 2009 के अंत में दिल्ली-भुवनेश्वर राजधानी को हाईजैक करने में आया था।
कुछ माह पहले रिहा होने के बाद तृकां राज्य कमेटी में
छत्रधर जंगलमहल में पुलिस संत्रास विरोधी जनसाधारण समिति के प्रमुख थे। यह समिति को माओवादियों का फ्रंटलाइन संगठन माना जाता था। कई माओवादी गतिविधियों में शामिल होने की वजह से लंबे समय तक वह जेल में बंद थे और कुछ माह पहले रिहा होने के बाद तृणमूल की राज्य कमेटी में शामिल हुए हैं।