West Bengal: बंगाल पुलिस की प्रवर्तन शाखा के डीजी की फर्जी फेसबुक प्रोफाइल खोलकर ठगी
बंगाल पुलिस की प्रवर्तन शाखा के डीजी की फर्जी फेसबुक प्रोफाइल खोलकर ठगी जालसाजों ने बंगाल समेत देश के विभिन्न हिस्सों के कई आइपीएस अधिकारियों की फर्जी प्रोफाइल बनाई थी। सीआइडी ने उत्तर प्रदेश के मथुरा के गोवर्धन से एक युवक को गिरफ्तार किया।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। राज्य पुलिस की प्रवर्तन शाखा के डीजी गंगेश्वर सिंह के फेसबुक की फर्जी प्रोफाइल खोलकर आइपीएस अधिकारी के कुछ परिचितों और दोस्तों से ठगी का मामला प्रकाश में आया है। इस आरोप में सीआइडी के अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश के मथुरा के गोवर्धन से एक युवक को गिरफ्तार किया है।
सीआइडी सूत्रों के मुताबिक आरोपित का नाम तौफीक खान है। वह राजस्थान के भरतपुर गिरोह का सदस्य है। भरतपुर से मथुरा की दूरी सड़क मार्ग से लगभग एक घंटे की है। आरोपित को पिछले दिनों कोर्ट में पेश किया गया। न्यायाधीश के आदेश के अनुसार तौफीक सात दिनों के लिए सीआइडी की हिरासत में है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि ठगी में तौफीक के साथ तीन और लोग शामिल थे। पुलिस ने पूरे घटनाक्रम की जांच शुरू कर दी है।
सीआइडी सूत्रों के मुताबिक इस साल के मध्य में फेसबुक पर ईबी के डीजी गंगेश्वर सिंह का 'क्लोन प्रोफाइल' खोला गया था। इससे पहले जालसाजों को वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी की असली प्रोफाइल खंगालकर उनके कुछ परिचितों के बारे में पता चला। जून में, कई आइपीएस अधिकारियों को फेसबुक मैसेंजर पर फर्जी प्रोफाइल से संदेश भेजा गया था, जिसमें कहा गया था कि उन्हें एक जरूरी कारण से नकदी की जरूरत है और एक दिन के भीतर इसे वापस कर देंगे। अकाउंट नंबर बताया और वहां पैसे भेजने को कहा। जरूरी समझकर सात-आठ अधिकारियों में प्रत्येक ने 20-25 हजार रुपये भेज दिए। अगले दिन वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी को घटना के बारे में पता चलने पर पूरा माजरा समझ में आ गया। उन्होंने 12 जून को सीआइडी के साइबर क्राइम थाने में शिकायत दर्ज कराई थी।
जांच के दौरान सीआइडी के अधिकारियों को आइपी एड्रेस से पता चला कि फेसबुक प्रोफाइल राजस्थान के अलवर से बनाई गई थी। हाल ही में अधिकारियों की एक टीम राजस्थान में उस जगह गई थी। वहां जाकर उन्हें पता चला है कि मथुरा निवासी तौफीक ने ही घटना को अंजाम दिया है। वह राजस्थान के उस क्षेत्र में नियमित रूप से भ्रमण करता रहता था। हालांकि वह एक समय में ट्रक चालक के रूप में जीवन यापन करता था, लेकिन वह एक साल पहले भरतपुर गिरोह में मोटी कमाई के लालच में शामिल हो गया था। इससे पहले जालसाजों ने बंगाल समेत देश के विभिन्न हिस्सों के कई आइपीएस अधिकारियों की फर्जी प्रोफाइल बनाई थी।