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Coronavirus: बंगाल सरकार से विशेष टीम ने पूछे 37 सवाल, केंद्र से ममता के विवाद बढ़ने के आसार

Coronavirus. केंद्रीय टीम ने राज्य में कोरोना से निपटने के लिए तैयारियों पर ममता सरकार से कुल 37 सवाल पूछे हैं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sat, 25 Apr 2020 04:49 PM (IST)Updated: Sat, 25 Apr 2020 04:49 PM (IST)
Coronavirus: बंगाल सरकार से विशेष टीम ने पूछे 37 सवाल, केंद्र से ममता के विवाद बढ़ने के आसार
Coronavirus: बंगाल सरकार से विशेष टीम ने पूछे 37 सवाल, केंद्र से ममता के विवाद बढ़ने के आसार

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। Coronavirus. कोरोना की जांच, महामारी से हो रही मौत और लॉकडाउन को लेकर बंगाल सरकार और केंद्र के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है। कोरोना के खिलाफ जंग में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर लगातार केंद्र सरकार का सहयोग नहीं करने के आरोप लग रहे हैं। इसी कड़ी में केंद्र सरकार की दो इंटर मिनिस्ट्रियल टीमें बंगाल पहुंची हैं जिसे लेकर राजनीति चरम पर है। केंद्रीय टीम ने राज्य के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा को छह चिट्ठी भेजी है, लेकिन एक का भी जवाब मुख्य सचिव ने नहीं दिया है। यह आरोप कोलकाता में तैनात केंद्रीय टीम के नेतृत्व कर्ता अपूर्व चंद्रा ने लगाया है।

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उन्होंने पत्र में लिखा है कि पांच पत्र भेजे गए लेकिन अब तक एक भी जवाब नहीं मिला है। वहीं उत्तर बंगाल की टीम ने भी एक पत्र लिखा है और लॉकडाउन समेत कई मुद्दे उठाए हैं साथ ही आरोप लगाया है कि सिलीगुड़‍ी के पुलिस कमिश्नर ने मुलाकात नहीं की। इसके अलावा केंद्रीय टीम ने राज्य में कोरोना से निपटने के लिए तैयारियों पर ममता सरकार से कुल 37 सवाल पूछे हैं। इन सवालों में बंगाल सरकार से कोरोना केस और मौत के आंकड़ों पर भी सवाल पूछ गए हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगर बंगाल सरकार इन 37 सवालों के जवाब दे देती है, तो राज्य सरकार की पूरी पोल खुल जाएगी। ये सवाल कुछ इस तरह हैं- लॉकडाउन का आप किस तरह पालन करा रहे हैं? इस दौरान कितने लोगों का चालान हुआ है? सीलिंग इलाकों से कितने लोगों को बाहर जाने की अनुमति दी गई? स्वास्थ्य कर्मियों पर अटैक के कितने केस सामने आए, उनपर क्या एक्शन लिया गया? अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए कितने बेड हैं? गरीब लोगों के लिए क्या व्यवस्था की गई? पिछले हफ्ते बंगाल के मुख्य सचिव ने पत्र लिखकर केंद्रीय गृह मंत्रालय से पूरा सहयोग करने की बात कही थी। लेकिन जिस तरह से केंद्रीय टीमें पत्र लिखकर राज्य सरकार से सवाल पूछ रही हैं, उससे लगता है ममता सरकार की ओर से सहयोग नहीं किया जा रहा है।

इससे पहले केंद्रीय टीम ने बंगाल सरकार से कोरोना से होने वाली मौतों का पता लगाने वाली कार्यप्रणाली पर स्पष्टीकरण मांगा था। पश्चिम बंगाल प्रशासन ने केंद्र की टीम से कहा था कि यदि किसी कोरोना पेशेंट की मौत रोड एक्सीडेंट से होती है तो मौत की कैटेगरी में रोड एक्सीडेंट दिखाया जाता है। केंद्रीय टीम ने पश्चिम बंगाल सरकार की इस राय से असहमति जाहिर की और पत्र लिखकर उनसे कुछ और स्पष्टीकरण मांगे हैं। केंद्रीय टीम ने बंगाल सरकार से पूछा कि कोविड-19 पेशेंट की मौत अगर किसी अन्य कारण से होती है तो उसके लिए क्या डॉक्टरों का कोई पैनल बनाया गया है? ऐसी सभी पेशेंट का रिकॉर्ड मुहैया करवाया जाए जो कोविड-19 थे लेकिन उनकी मौत किसी अन्य कारण की वजह से हुई है।

इसके बाद शनिवार को अपूर्व चंद्रा ने एक और पत्र भेजा जिसमें केंद्रीय टीम की सुरक्षा, राज्य द्वारा दिए गए प्रेजेंटेशन की हार्डकापी क्यों नहीं जमा दी गई? क्यों पुलिस के एक डीसी स्तर के अधिकारी बीएसएफ क्वार्टर में पहुंचकर यह कहकर गए कि केंद्रीय टीम को लॉकडाउन के समय सिर्फ एयरपोर्ट जाने की अनुमति होगी। हालांकि, इस से पहले मुख्य सचिव ने कहा था कि केंद्रीय टीम कहीं भी आ-जा सकती है। वहीं यह भी कहा था कि राज्य सरकार अपने किसी अधिकारी को केंद्रीय टीम के साथ तैनात कर समय बर्बाद नहीं करेगी। खबर है कि केंद्रीय टीम ने जो पत्र की कापी केंद्रीय गृह सचिव को भी भेजी है।

भाजपा जो आज कहती है केंद्र व राज्यपाल कल कहती हैः तृणमूल

कोलकाता नगर निगम के मेयर व मंत्री तथा तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता फिरहाद हकीम ने शनिवार को केंद्रीय टीम के पत्र भेजने को लेकर कहा कि यह महामारी के समय राजनीति हो रही है। कहा जाता है कि बंगाल जो आज सोचता है वह शेष भारत कल सोचता है। परंतु, अभी देखा जा रहा है कि बंगाल के भाजपा नेता जो आज कहते हैं वहीं बात कल केंद्र और यहां के राज्यपाल बोल रहे हैं। 

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