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चुनाव बाद हिंसा मामले में सीबीआइ और एसआइटी ने हाई कोर्ट में सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट जमा की

Bengal Chunav Hinsa पीठ ने कहा कार्यालय की रिपोर्ट के अनुसार 20 सितंबर 2021 से पहले ही इस संबंध में भारत संघ पर नोटिस तामील कर दी गई थी। केंद्र की ओर से कोई पेश नहीं हुआ है। मामले को 22 अक्टूबर को सूचीबद्ध किया जाए।

By Priti JhaEdited By: Published: Mon, 04 Oct 2021 12:59 PM (IST)Updated: Mon, 04 Oct 2021 02:46 PM (IST)
चुनाव बाद हिंसा मामले में सीबीआइ और एसआइटी ने हाई कोर्ट में सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट जमा की
चुनाव बाद हिंसा मामले में सीबीआइ और एसआइटी ने हाई कोर्ट में सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट जमा की

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा मामले में सीबीआइ और एसआइटी ने सोमवार को सीलबंद लिफाफे में कलकत्ता उच्च न्यायालय में अब तक की जांच रिपोर्ट दाखिल की। मामले की अगली सुनवाई अब आठ नवंबर को होगी। ज्ञात हो कि कलकत्ता हाई कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने अगस्त महीने में एनएचआरसी पैनल की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए राज्य में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा के दौरान हत्या व दुष्कर्म जैसे जघन्य मामलों की सीबीआइ जांच का आदेश दिया था। साथ ही चुनाव के बाद हिंसा से जुड़े अन्य आपराधिक मामलों के लिए हाई कोर्ट ने एक विशेष जांच दल (एसआइटी) द्वारा अदालत की निगरानी में जांच का निर्देश दिया था।

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हाई कोर्ट के आदेश के बाद जांच कर रही सीबीआइ ने बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा के मामले में हाल में कई प्राथमिकी दर्ज की है। साथ ही सीबीआइ ने विभिन्न जिलों से कई आरोपितों को गिरफ्तार भी किया है। 28 सितंबर को सीबीआइ ने बंगाल के कूचबिहार जिले के शीतलकूची में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा के दौरान एक व्यक्ति की हत्या के सिलसिले में छह लोगों के खिलाफ विशेष अदालत में आरोप पत्र भी दाखिल किया था। जिन लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किए गए थे, बताया गया कि वे सभी सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता हैं।

गौरतलब है कि बंगाल में दो मई को विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद राज्य के विभिन्न हिस्सों में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। हिंसा का आरोप सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के कार्यकर्ताओं पर है। हिंसा में बड़ी संख्या में लोगों की जानें गईं। साथ ही हजारों लोग बेघर हो गए। इसके बाद हिंसा के खिलाफ कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट में गंभीर मामलों की जांच सीबीआइ को सौंप दिया था।


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