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बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र 15 से 50 किमी करने के खिलाफ याचिका पर कलकत्ता हाई कोर्ट में 14 दिसंबर को होगी सुनवाई

सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अधिकार क्षेत्र बढ़ाने का फैसला करने की केंद्र सरकार की शक्ति को चुनौती देते हुए एक जनहित याचिका कलकत्ता हाई कोर्ट में दायर की गई है जिस पर सुनवाई 14 दिसंबर को होगी।

By Vijay KumarEdited By: Published: Sat, 27 Nov 2021 09:55 PM (IST)Updated: Sat, 27 Nov 2021 09:55 PM (IST)
याचिका पर कलकत्ता हाई कोर्ट में 14 दिसंबर को होगी सुनवाई

राज्य ब्यूरो, कोलकाता: सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अधिकार क्षेत्र बढ़ाने का फैसला करने की केंद्र सरकार की शक्ति को चुनौती देते हुए एक जनहित याचिका कलकत्ता हाई कोर्ट में दायर की गई है, जिस पर सुनवाई 14 दिसंबर को होगी। सीमा सुरक्षा बल बंगाल, पंजाब और असम में अंतरराष्ट्रीय सीमा से 15 किलोमीटर के बजाय 50 किमी अंदर तक के क्षेत्र में तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी के लिए अधिकृत करने को लेकर केंद्र ने हाल में बीएसएफ अधिनियम में संशोधन किया है। हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और जस्टिस आर भारद्वाज की पीठ ने इस विषय पर संबंधित पक्षों को नोटिस भेजने का निर्देश दिया है। पीठ ने निर्देश दिया कि विषय को सुनवाई के लिए 14 दिसंबर को अदालत के समक्ष रखा जाए।

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याचिकाकर्ता के वकील सब्यसाची चटर्जी के मुताबिक, जनहित याचिका (पीआइएल) में दावा किया गया है कि बीएसएफ अधिनियम की धारा 139 के उपबंध-आइ के तहत बल के अधिकार क्षेत्र पर फैसला करने की केंद्र सरकार की शक्ति देश के संघीय ढांचे के विरुद्ध है। मालूम हो कि बीते 16 नवंबर को बंगाल विधानसभा ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने के केंद्र के फैसले के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया था।

प्रस्ताव में कहा गया है कि बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र बढ़ाना देश के संघीय ढांचे के खिलाफ है, क्योंकि कानून व्यवस्था राज्य का विषय है। इसमें कहा गया है कि अधिसूचना बीएसएफ एक्ट के प्रावधानों को पार करती है, जिससे राज्य पुलिस और बीएसएफ के बीच समन्वय का मुद्दा आएगा। बंगाल के अलावा पंजाब सरकार ने भी केंद्र के इस फैसले पर आपत्ति जताई है। बीते 11 नवंबर को पंजाब विधानसभा ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने के केंद्र के फैसले के खिलाफ सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था। विधानसभा ने केंद्र के इस कदम को ‘संघीय ढांचे पर हमला’ करार देते हुए इसे वापस लेने की मांग की थी।

प्रस्ताव में कहा था कि भारत के संविधान के अनुसार, कानून और व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है और इस उद्देश्य के लिए पंजाब सरकार पूरी तरह से सक्षम है. केंद्र सरकार द्वारा बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र का विस्तार करने का निर्णय पंजाब की पुलिस और लोगों के प्रति अविश्वास की अभिव्यक्ति है। यह उनका अपमान है।


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