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कलकत्ता हाई कोर्ट से ममता सरकार को तगड़ा झटका, चुनाव बाद हिंसा के मामले में एनएचआरसी करेगा जांच

कलकत्ता हाई कोर्ट ने हिंसा की जांच एनएचआरसी से कराने के आदेश पर रोक लगाने की बंगाल सरकार की मांग को खारिज कियादायर जनहित याचिकाओं पर संज्ञान लेते हए हाई कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा जारी आदेश के दो दिन बाद बंगाल सरकार ने यह आवेदन दिया था।

By Priti JhaEdited By: Published: Mon, 21 Jun 2021 01:35 PM (IST)Updated: Mon, 21 Jun 2021 05:16 PM (IST)
कलकत्ता हाईकोर्ट ने जांच एनएचआरसी से कराने के आदेश पर रोक लगाने की बंगाल सरकार की मांग को खारिज किया

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। कलकत्ता हाई कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने सोमवार को बंगाल सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें हाई कोर्ट के उस आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया था जिसमें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को समिति गठित कर राज्य में चुनाव बाद हिंसा के दौरान कथित मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाओं की जांच करने के लिए कहा गया है। चुनाव बाद हिंसा को लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर संज्ञान लेते हए हाई कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा जारी आदेश के दो दिन बाद बंगाल सरकार ने यह आवेदन दिया था।

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सोमवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए पीठ ने राज्य सरकार की याचिका को खारिज करते हुए अपने 18 जून के आदेश को वापस लेने से साफ इन्कार कर दिया। दरअसल, राज्य सरकार ने पुनर्विचार याचिका दाखिल कर इस आदेश पर रोक लगाने की मांग करते हुए अनुरोध किया था कि उसे मामले की अगली सुनवाई से पहले राज्य विधि सेवा प्राधिकरण (एसएलएसए) के सदस्य सचिव की रिपोर्ट पर कार्रवाई करने और झड़प और हिंसा की ऐसी शिकायतों पर उठाए गए कदम की जानकारी देने का अवसर दिया जाए। इससे पहले जनहित याचिकाओं में आरोप लगाया गया था कि राजनीतिक हमलों की वजह से लोगों को अपने घरों से विस्थापित होना पड़ा, उनके साथ मारपीट की गई, संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया और कार्यालयों में लूटपाट की गई।

सरकार ने अनुरोध करते हुए कहा कि 18 जून के फैसले में बंगाल सरकार और उसके अधिकारियों के खिलाफ की गई टिप्पणी को हटाया जा सकता है। आवेदन में दावा किया गया था कि यह आदेश राज्य को एसएलएसए सदस्य सचिव की रिपोर्ट के संबंध में जवाब दाखिल करने का मौका दिए बिना पारित किया गया। राज्य सरकार ने जनहित याचिका के निपटारे तक आदेश में दिए कार्यों पर भी रोक लगाने का अनुरोध किया था।

गौरतलब है कि कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल, न्यायमूर्ति आई पी मुखर्जी, न्यायमूर्ति हरीश टंडन, न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति सुब्रत तालुकदार की पीठ ने 18 जून को मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष को निर्देश दिया था कि वह चुनाव बाद हुई हिंसा के दौरान मानवाधिकार उल्लंघन की शिकायतों की जांच के लिए एक समिति गठित करें।

दूसरी ओर भाजपा सांसद लॉकेट चटर्जी ने ट्वीट किया कि बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा की निष्‍पक्ष जांच रोकने की सीएम ममता बनर्जी की कोशिशों पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने पानी फेर दिया।


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