कलकत्ता हाई कोर्ट ने बस भाड़ा बढ़ाने पर फैसला राज्य सरकार पर छोड़ा
तीन बस व मिनी बस मालिक संगठनों की तरफ से बस भाड़े में बढ़ोतरी के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी जिसमें उन्होंने कहा था कि पेट्रोल-डीजल के दाम बेतहाशा बढ़े हैं जिससे बस चलाने में भारी नुकसान हो रहा है।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। कलकत्ता हाई कोर्ट ने बस भाड़े में वृद्धि पर फैसला राज्य सरकार पर छोड़ दिया है। गुरुवार को मामले पर फैसला सुनाते हुए न्यायाधीश सब्यसाची भट्टाचार्य की एकल पीठ ने कहा कि आम यात्रियों व बस मालिकों के हितों के बीच सामंजस्य स्थापित करने की जिम्मेदारी सरकार की है। यह सरकार के नीतिगत विषय से जुड़ा मामला है। गौरतलब है कि तीन बस व मिनी बस मालिक संगठनों की तरफ से बस भाड़े में बढ़ोतरी के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि पेट्रोल-डीजल के दाम बेतहाशा बढ़े हैं, जिससे बस चलाने में भारी नुकसान हो रहा है इसलिए भाड़े में अविलंब वृद्धि की जानी चाहिए लेकिन अदालत ने यह फैसला सरकार ही छोड़ा है।
दूरबीन लेकर ढूंढ़नी पड़ेंगी बसें
इसपर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए ज्वाइंट काउंसिल आफ बस सिंडिकेट के महासचिव तपन कुमार बनर्जी ने कहा कि राज्य सरकार को बस भाड़ा बढ़ाने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। बस मालिक बस खरीदने के लिए बैंक से लिए गए ऋण की मासिक किस्त का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं। सड़कों से बसें दिन-ब-दिन कम होती जा रही हैं। सरकार की तरफ से जल्द कोई कदम नहीं उठाया गया तो दूरबीन लेकर बसें ढूंढनी पड़ेगी। कोलकाता में अभी सिर्फ 1,200 बसें चल रही हैं जबकि पूरे बंगाल में अभी आठ से 10 हजार बसें ही परिचालन में हैं। बनर्जी ने आगे कहा कि दूसरे राज्यों की तुलना में बंगाल में बस भाड़ा बहुत कम है, फिर भी इसे बढ़ाया नहीं जा रहा।