कलकत्ता हाई कोर्ट ने रेलवे परियोजना के लिए जमीन देने वालों को नौकरी देने का दिया निर्देश
रेलवे की परियोजना (Railway Project)के लिए जमीन देने वाले तीन परिवार के सदस्यों को कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) ने नौकरी देने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि 3 मई तक नौकरी देनी होगी और उसकी रिपोर्ट भी अदालत में जमा करनी पड़ेगी।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। कलकत्ता हाई कोर्ट ने रेलवे को परियोजना के लिए अपनी जमीन देने वाले तीन परिवारों के सदस्यों को नौकरी देने का निर्देश दिया है। न्यायाधीश सौमेन सेन की अगुआई वाली खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया। अदालत ने इस बाबत दक्षिण पूर्व रेलवे की महाप्रबंधक अर्चना जोशी को सशरीर हाजिर होने को कहा था। महाप्रबंधक की तरफ से कहा गया कि ऐसे सिर्फ तीन मामलाकारी नहीं हैं, 560 लोग नौकरी की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उन सभी की तरफ से नौकरी के लिए जमा किए गए दस्तावेजों की जांच की जा रही है। उसके बाद ही नौकरी दी जा सकेगी। इसमें पांच महीने का समय लग जाएगा।
यह सुनकर न्यायाधीश ने कहा कि राज्य पुलिस में इतनी सारी नियुक्तियां होती हैं, उसमें तो इतना समय नहीं लगता। अदालत में भी नियुक्तियां होती हैं, यहां भी इतना समय नहीं लगता, फिर आप के मामले में इतना समय क्यों लग रहा है? तीन मई तक नौकरी देनी होगी और उसकी रिपोर्ट भी अदालत में जमा करनी पड़ेगी। गौरतलब है कि यह मामला पूर्व मेदिनीपुर का है, जहां रेलवे की परियोजना के लिए कई परिवारों ने अपनी जमीन दी थी। जमीन के बदले उन परिवारों के एक सदस्य को रेलवे में नौकरी देने का आश्वासन दिया गया था लेकिन अब तक नौकरी नहीं दी गई है। इसके खिलाफ सेंट्रल ट्रिब्यूनल में भी मामला किया गया था। सेंट्रल ट्रिब्यूनल ने रेलवे को तुरंत नौकरी देने को कहा था लेकिन उसके आदेश का पालन नहीं किया गया। इसके बाद कृष्णेन्दु पाल समेत तीन लोगों ने हाई कोर्ट में मामला किया था, जिसपर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह निर्देश दिया।
इधर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि सरकार ने देवचा पचामी कोयला खनन परियोजना के कारण जमीन गंवाने वालों लोगों के लिए मुआवजे में संशोधन किया है। उन्होंने यह भी कहा कि परियोजना के लिए जबरन किसी की जमीन नहीं ली जाएगी। कुल 35,000 करोड़ रुपये की कोयला परियोजना राज्य के बीरभूम जिले में है। यह देश की सबसे बड़ी और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कोयला खनन परियोजना है। ममता ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद कहा कि राज्य सरकार खनन परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण करना चाहती है क्योंकि इससे एक लाख रोजगार सृजित होंगे।