बंगाल में चुनाव बाद हिंसा की जांच के लिए कलकत्ता हाई कोर्ट का फैसला न्याय की दिशा में पहला कदमः आतिफ रशीद
बंगाल में चुनाव बाद हिंसा की जांच के लिए कलकत्ता हाई कोर्ट के पांच जजों की पीठ के निर्देश पर गठित एनएचआरसी की विशेष समिति के सदस्य व राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष आतिफ रशीद ने हिंसा को लेकर हाई कोर्ट ने जो फैसला सुनाया उसका स्वागत किया।
राज्य ब्यूरो, कोलकाताः बंगाल में चुनाव बाद हिंसा की जांच के लिए कलकत्ता हाई कोर्ट के पांच जजों की पीठ के निर्देश पर गठित राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की विशेष समिति के सदस्य व राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष आतिफ रशीद ने हिंसा को लेकर हाई कोर्ट ने जो फैसला सुनाया उसका स्वागत किया। साथ ही कहा कि यह बेगुनाह मतदाताओं को न्याय की दिशा में पहला कदम है।
रशीद ने गुरुवार को कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले के बाद प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि न्यायालय का आदेश बंगाल के उन बेगुनाह वोटरों को न्याय की दिशा में पहला कदम है जिन्होंने बंगाल चुनाव में अपने संवैधानिक अधिकार का प्रयोग करते हुए अपनी पसंद की पार्टी को मत दिया था। किंतु, बदले में उन्हें हिंसा, हत्या, दुष्कर्म, हमले और पलायन का दर्द सहना पड़ा। उन्होंने कहा कि पुलिस ने भी पीड़ितों की अनदेखी की। आतिफ ने कहा कि कोर्ट द्वारा घटना की जांच सीबीआइ से कराने के आदेश के बाद पीड़ितों के साथ न्याय की उम्मीद जग गई है।
तृणमूल प्रदेश महासचिव कुणाल घोष ने भी अदालत के फैसले के बाद संवाददाता सम्मेलन में असंतोष जताया। एक ट्वीट में उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट को राजनीति से प्रेरित बताया और कहा कि यह कानूनी विकल्पों की तलाश में है। हालांकि, राज्य सरकार ने शुरू से ही बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा से इन्कार कर रही है, लेकिन कोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की विशेष समिति की रिपोर्ट व सिफारिशों को मंजूरी देते हुए सीबीआइ तथा विशेष जांच टीम(एसआइटी)गठित कर जांच का निर्देश दिया है और पूरे मामले पर कोर्ट की नजर रहेगी। उच्च न्यायालय ने राज्य को पीड़ितों को आर्थिक मुआवजा देने का भी निर्देश दिया है।
सीबीआइ जांच की मांग को लेकर हाई कोर्ट पहुंचने वाले याचिककर्ताओं ने गुरुवार को ही सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर दिया। कैविएट दायर होने पर कोई भी फैसला के लिए दोनों पक्षों से बातें कोर्ट सुनने के बाद ही कोई फैसला सुनाता है।