भाजपा ने की बंगाल में राष्ट्रपति शासन की मांग
चारों तरफ सांप्रदायिक और राजनीतिक हिंसा की घटनाएं हो रही हैं। ऐसी में बंगाल को बचाने के लिए प्रदेश भाजपा ने मुख्यमंत्री के अविलंब इस्तीफे की मांग की।
कोलकाता, [जागरण संवाददाता] । प्रदेश भाजपा ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की है। पार्टी कार्यालय में बुधवार को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि राज्य की स्थिति भयावह हो गई है। राज्य सरकार स्वास्थ्य, शिक्षा सभी क्षेत्रों के साथ ही प्रशासनिक मामलों में भी पूरी तरह से विफल हो गई है।
चारोंतरफ सांप्रदायिक और राजनीतिक हिंसा की घटनाएं हो रही हैं। ऐसी स्थिति में बंगाल को बचाने के लिए प्रदेश भाजपा ने मुख्यमंत्री के अविलंब इस्तीफे की मांग की है। साथ ही भाजपा ने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह राज्य में संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लागू करे। राष्ट्रपति शासन लागू कर ही बंगाल का विनाश रोका जा सकता है। राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग को लेकर प्रदेश भाजपा केंद्रीय गृहमंत्री को पत्र लिखेगी। घोष ने आरोप लगाया कि राज्य की कानून-व्यवस्था रसातल में चली गई है। पहाड़ से सागर व सुंदरवन तक आग लगी हुई है। बांग्लादेश से सिमी, आइएसआइ के आतंकी पश्चिम बंगाल में घुसकर हिंसा फैला रहे हैं। हिंदू समाज पर आक्रमण कर रहे हैं।
यह सबकुछ पुलिस के सामने हो रहा है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। राज्य सरकार की ओर से सांप्रदायिक घटनाओं पर पर्दा डालने की कोशिश की जा रही है। उत्तर 24 परगना जिले के बादुडि़या की घटना को भी मुख्यमंत्री ने दबाने की कोशिश की थी, लेकिन राज्यपाल के हस्तक्षेप से वह इसे स्वीकार करने के लिए बाध्य हुई। मुख्यमंत्री इस तरह की घटनाओं से हताश हो गई हैं, इसलिए उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। धूलागढ़, कालियाचक जैसी घटनाओं पर राज्य सरकार मौन रही।
नूरूर रहमान बरकती ने प्रधानमंत्री के खिलाफ फतवा जारी कर दिया, लेकिन मुख्यमंत्री ने कुछ नहीं किया। असल में वह वोट की राजनीति के तहत ऐसे लोगों को शह दे रही हैं। उसी का नतीजा बादुडि़या जैसी घटनाएं हैं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि राज्य में विपक्षी दलों को प्रचार करने से रोका जा रहा है। विस्तारक योजना के दौरान एक माह में भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमले की 300 घटनाएं हुई हैं।
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