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आखिर नोटों के अंबार को लेकर गहराते राज से कब पर्दा उठेगा, असली खिलाड़ी कब पकड़ में आएंगे?

केंद्रीय जांच एजेंसी के एक पूर्व अधिकारी का कहना है ‘बिना किसी विशेष सूचना के इतनी गहनता से कहीं भी छापेमारी संभव नहीं है। चाहे वह पार्थ की करीबी अर्पिता का फ्लैट हो जहां टायलेट में रुपये थे या गार्डेनरीच के निसार खान का घर।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Tue, 13 Sep 2022 10:50 AM (IST)
आखिर नोटों के अंबार को लेकर गहराते राज से कब पर्दा उठेगा, असली खिलाड़ी कब पकड़ में आएंगे?
कोलकाता के गार्डेनरीच इलाके से ईडी की छापेमारी में शनिवार को बरामद नकदी। फाइल

कोलकाता, जयकृष्ण वाजपेयी। इन दिनों बंगाल में एक के बाद एक नोटों के बंडल के ढेर मिल रहे हैं। पिछले 51 दिनों में 85 करोड़ रुपये से अधिक नकदी और कई सौ करोड़ की अचल संपत्तियां जब्त हो चुकी हैं। कई लोगों की गिरफ्तारी भी हुई है। इसके बावजूद राज खुलने की जगह गहराता जा रहा है। प्रश्न यह उठ रहा है कि आखिर पकड़े गए इन करोड़ों के काले धन के पीछे असली खिलाड़ी कौन है? 22 जुलाई से नकदी की बरामदगी का जो सिलसिला शुरू हुआ था, वह अब भी जारी है।

शिक्षक भर्ती घोटाले में ईडी ने तत्कालीन उद्योग मंत्री व तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी के फ्लैटों में छापेमारी की थी, जहां से 21.9 करोड़ कैश, 76 लाख के सोने के गहने और 54 लाख की विदेशी मुद्रा समेत कई भूखंड, फ्लैट व फार्महाउस के दस्तावेज मिले थे। इसके एक सप्ताह के भीतर ही पार्थ की करीबी अर्पिता के एक और फ्लैट से 27.9 करोड़ नकदी और 4.31 करोड़ का सोना बरामद हुआ।

पूर्व मंत्री का नोटों से अपना संबंध होने से साफ इन्कार

बंगाल के राजनीतिक इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ, जब 55 करोड़ से अधिक की नकदी, विदेशी मुद्रा और सोना बरामदगी के साथ किसी कैबिनेट मंत्री की गिरफ्तारी हुई है। इसके बाद मुख्यमंत्री व तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने पार्थ को मंत्री व पार्टी के सभी पदों से हटा दिया। गिरफ्तारी के बाद से ही अर्पिता कह रही हैं कि जब्त नोट पार्थ चटर्जी के हैं, लेकिन पूर्व मंत्री नोटों से अपना संबंध होने से साफ इन्कार कर रहे हैं।

झारखंड के तीन कांग्रेस विधायकों पार्टी से निलंबित

पार्थ चटर्जी ने तो यहां तक कह दिया कि इसमें षड्यंत्र है, लेकिन किसने किया, इस बारे में नहीं बताया। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि जेल में बंद पार्थ झूठ बोल रहे हैं या फिर इस नोटों के ढेर से किसी ‘प्रभावशाली व्यक्ति’ का संबध है? फिलहाल जांच जारी है। अभी यह सब चल ही रहा था कि झारखंड के तीन कांग्रेस विधायकों (जिन्हें बाद में पार्टी से निलंबित कर दिया गया) को 48 लाख कैश के साथ हावड़ा से पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इन विधायकों पर भाजपा से मोटी रकम लेकर झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार को गिराने का षड्यंत्र रचने का आरोप लगा है। फिलहाल तीनों जमानत पर रिहा हैं।

सीबीआइ ने तृणमूल नेता राजू सहनी को चिटफंड घोटाले में पकड़ा

विधायकों का कहना है कि वे साड़ी खरीदने के लिए आए थे। परंतु रुपये किसने दिए, यह फिलहाल रहस्य ही है। इसके बाद मवेशी तस्करी मामले में तृणमूल के बाहुबली नेता अनुब्रत मंडल को सीबीआइ ने गिरफ्तार कर लिया और जांच में 20 करोड़ से अधिक के फिक्स्ड डिपाजिट के अलावा कई करोड़ की अचल संपत्तियों का पता चला है। मंडल से पहले उनके बाडीगार्ड कांस्टेबल सहगल हुसैन को सीबीआइ ने 150 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति उसके पास होने के मामले में गिरफ्तार किया है। इसी बीच सीबीआइ ने तृणमूल के एक और नेता व नगर पालिका चेयरमैन राजू सहनी को चिटफंड घोटाले में 80 लाख नकदी, देशी पिस्तौल के साथ पकड़ा। सहनी के विदेश में भी कई बैंक खाते होने के प्रमाण मिले हैं। वहीं सीआइडी ने मालदा से जयप्रकाश साहा नामक एक मछली व्यवसायी को 1.4 करोड़ रुपये के साथ गिरफ्तार किया है।

कोलकाता एयरपोर्ट से तीन दिन पहले 9.34 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा के साथ एक युवक को गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा हावड़ा रेलवे स्टेशन से भी अलग-अलग मामलों में 70 लाख से अधिक कैश जब्त किए जा चुके हैं। एयरपोर्ट और हावड़ा स्टेशन से जब्त नोटों का तार हवाला रैकेट से जुड़े होने की बात कही जा रही है। इसके बाद पिछले शनिवार को ईडी ने छह जगहों पर छापेमारी की। महानगर के गार्डेनरीच स्थित ट्रांसपोर्ट व्यवसायी निसार खान के घर पर ईडी ने 14 घंटे तक तलाशी अभियान चलाकर पलंग के नीचे रखे हुए 17.32 करोड़ रुपये जब्त किए हैं।

आखिर पुलिस ने किस के दबाव में कार्रवाई नहीं की?

दरअसल, निसार के बेटे आमिर खान पर मोबाइल गेम एप के जरिए लोगों से ठगी को लेकर फेडरल बैंक की ओर से न्यायालय में मुकदमा किया गया था। इसके बाद न्यायालय ने आमिर के खिलाफ पार्क स्ट्रीट थाने को एफआइआर दर्ज करने का आदेश दिया था। 15 फरवरी, 2021 को कई गैर-जमानती धाराओं में प्राथमिकी दर्ज होने के बावजूद कोलकाता पुलिस ने डेढ़ वर्ष तक उसके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की। अब इसे लेकर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर पुलिस ने किस के दबाव में कार्रवाई नहीं की? क्या इसमें भी किसी ‘प्रभावशाली व्यक्ति’ की संलिप्तता है? क्योंकि अब ईडी अधिकारी भी मान रहे हैं कि सिर्फ गेम एप से ठगी के जरिए इतनी मोटी रकम जुटाकर घर में नहीं रखी जा सकती। दूसरी ओर यह भी कहा जा रहा है कि घर की प्रथम मंजिल पर पलंग के नीचे रुपये रखे हुए हैं, इतनी सटीक सूचना ईडी तक कैसे पहुंची?

केंद्रीय जांच एजेंसी के एक पूर्व अधिकारी का कहना है, ‘बिना किसी विशेष सूचना के इतनी गहनता से कहीं भी छापेमारी संभव नहीं है। यह अभियान विशिष्ट इनपुट पर आधारित है। चाहे वह पार्थ की करीबी अर्पिता का फ्लैट हो, जहां टायलेट में रुपये थे या गार्डेनरीच के निसार खान का घर, कहीं भी रुपये निकालने के लिए दीवारों को तोड़ने या कोई अन्य प्रयत्न नहीं करना पड़ा। जिससे कहा सकता है कि सटीक इनपुट पर ही छापेमारी हुई है।’ अब यही बातें हो रही हैं कि आखिर इस राज पर से पर्दा कब उठेगा? असली खिलाड़ी कब पकड़ में आएंगे?

[राज्य ब्यूरो प्रमुख, बंगाल]