Move to Jagran APP

सेंट्रल ::: 'जूट उद्योग को ऋण देने के लिए बैंकों ने सख्त किए नियम'

पहले से ही मुश्किल दौर से गुजर रहा बंगाल का जूट उद्योग अब फंड की कमी के कारण और भी कठिनाइयों का सामना कर रहा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Feb 2020 02:00 AM (IST)Updated: Mon, 24 Feb 2020 06:23 AM (IST)
सेंट्रल ::: 'जूट उद्योग को ऋण देने के लिए बैंकों ने सख्त किए नियम'

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : पहले से ही मुश्किल दौर से गुजर रहा बंगाल का जूट उद्योग अब फंड की कमी के कारण और भी कठिनाइयों का सामना कर रहा है। बैंकों ने इस उद्योग के लिए ऋण देने के मानकों को और सख्त कर दिया है। जूट उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि बैंक अब जूट मिलों के मालिकों से कर्ज के लिए जमीन के पुख्ता कागजात मांग रहे हैं। जूट उद्योग के सूत्रों का कहना है कि कार्यशील पूंजी की कमी के कारण हाल में यहां की तीन प्रमुख जूट मिलें बंद हो गई हैं, जिसके कारण हजारों श्रमिकों को बेरोजगार होना पड़ा है। एक जूट मिल के प्रमोटर ने कहा-'बैंक से ऋण की कमी ने राज्य में कई जूट मिलों को प्रभावित किया है। मिल मालिकों को अपना व्यवसाय चलाने के लिए पर्याप्त ऋण नहीं मिल रहा है। बैंकों ने इस उद्योग के लिए ऋण देने के मानदंडों को और सख्त बना दिया है, जिसके कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।'

loksabha election banner

उद्योग जगत के सूत्रों ने कहा कि हीरा कारोबारी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी द्वारा हजारों करोड़ की धोखाधड़ी के बाद बैंक बेहद सतर्क हो गए हैं। वे ऋण मंजूर करने से पहले जमीन के पुख्ता कागजात मांग रहे हैं।

वहीं, भारतीय जूट मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राघवेंद्र गुप्ता ने कहा कि जमीन के बदले बैंकों से ऋण प्राप्त करना जूट उद्योग के लिए एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने बताया कि मिलों की भूमि राज्य सरकार की है और एक विशिष्ट उद्देश्य के लिए यह मिल मालिकों को दी गई थी। हालांकि उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने इस समस्या को हल करने के लिए कानून में संशोधन किया था। संशोधित कानून के तहत राज्य सरकार ने 99 साल के पट्टे पर मिल मालिकों को जमीन देने में सक्षम बनाया है।

गौरतलब है कि कोलकाता से सटे उत्तर 24 परगना जिले के श्यामनगर में स्थित वेवर्ली जूट मिल बीते शुक्रवार को बंद हो गया था। मिल बंद होने से नाराज मजदूरों ने जमकर तोड़फोड़ और वाहनों में आगजनी की थी। मिल के बंद होने से करीब चार हजार मजदूर एक झटके में सड़क पर आ गए। बताया जाता है कि फंड की कमी के कारण 29 जनवरी से ही इस मिल में उत्पादन बंद था और बकाया वेतन व भत्तों के भुगतान के मुद्दे पर प्रबंधन और मजदूर यूनियन के बीच बातचीत चल रही थी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.